आज के समय में एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है Iयदि आंकड़ों पर गौर करें तो 33 % ईनफर्टीलीटी पुरुषों की समस्या के कारण,33 % ईनफर्टीलीटी महिलाओं एवं लगभग 33 % दोनों ही की समस्याओं या फिर अज्ञात कारणों से उत्पन्न होती हैं Iपुरुषों में ईनफर्टीलीटी का कारण वेरीकोसील, स्पर्म काउंट का कम या अनुपस्थित होना,स्पर्म डेमेज या किसी रोगजनित कारणों से होता है Iएल्कोहोल,दवाओं (उच्चरक्तचाप में प्रयुक्त ) का सेवन,धुम्रपान,रेडीयेशन एवं कीमोथेरेपी आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो इसके रिस्क फेक्टर माने जा सकते हैं Iइसी प्रकार महिलाओं में बंद फेलोपियन ट्यूब,ओव्युलेशन की समस्या,युटेराईन फाईब्रोइड,तनाव,उम्र,दवाओं आदि संभावित कारण हो सकते हैं Iईनफर्टीलीटी की समस्याओं में आयुर्वेद के कुछ योग बड़े ही कारगर होते हैं योग चिकित्सक अपने रोगीयों में इन योगों का प्रयोग करा सकते हैं :-
🌕-श्वेत कंटकारी के पंचांग को सुखाकर पाउडर बना लें तथा स्त्री में मासिक धर्म के 5वें दिन से लगातार तीन दिन प्रातः एक बार दूध से एवं पुरुष को : अश्वगंधा 10 ग्राम, शतावरी 10 ग्राम, विधारा 10 ग्राम, तालमखाना 5 ग्राम, तालमिश्री 5 ग्राम सब मिलकर 2 चम्मच दूध के साथ प्रातः सायं प्रयोग करायें निश्चित लाभ मिलता है I
🌕- पलाश के पेड़ की एक लम्बी जड़ में लगभग 250 मिली की एक शीशी लगाकर, इसे जमीन में दबा दें, एक सप्ताह बाद इसे निकाल लें, अब इसमें इकठ्ठा होने वाला निर्यास द्रव प्रातः पुरुष को एक चम्मच शहद से दें। यह शुक्राणुजनित कमजोरी जिसे ओलिगोस्पर्मीया भी कहा जाता है को दूर करने में मददगार होता है।
🌕-अश्वगंधा 1.5 ग्राम. शतावरी 1.5 ग्राम, सफ़ेद मुसली 1.5 ग्राम एवं कौंच बीज चूर्ण को 75 मिलीग्राम की मात्रा में गाय के दूध से सेवन करने से भी ईनफर्टीलीटी की समस्या में लाभ मिलता है I
🌕- शुद्ध शिलाजीत की 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम की मात्रा दूध के साथ नियमित सेवन भी मधुमेहजन्य ईनफर्टीलीटी को दूर करती हैI
🌕-अश्वगन्धा, कौन्च के बीज, सेमल के फूल, शतावरी , मोचरस, गोखरू, जायफल, ताल मखाना, मूसली, विदारीकन्द, सोठ, घी में भूनी हुयी ऊड़द की दाल, पोस्तादाना एवं वंशलोचन इन सभी द्रव्य एक एक हिस्सा लेकर महीन से महीन चूर्ण बना लें और इस सभी वस्तुओं के चूर्ण के हिस्से के बराबर शक्कर लें और इस शक्कर को महीन से महीन पीसकर उपरोक्त चूर्ण में मिला लें।इस चूर्ण का नियमित रूप से 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन I
🌕-श्वेत कंटकारी के पंचांग को सुखाकर पाउडर बना लें तथा स्त्री में मासिक धर्म के 5वें दिन से लगातार तीन दिन प्रातः एक बार दूध से एवं पुरुष को : अश्वगंधा 10 ग्राम, शतावरी 10 ग्राम, विधारा 10 ग्राम, तालमखाना 5 ग्राम, तालमिश्री 5 ग्राम सब मिलकर 2 चम्मच दूध के साथ प्रातः सायं प्रयोग करायें निश्चित लाभ मिलता है I
🌕- पलाश के पेड़ की एक लम्बी जड़ में लगभग 250 मिली की एक शीशी लगाकर, इसे जमीन में दबा दें, एक सप्ताह बाद इसे निकाल लें, अब इसमें इकठ्ठा होने वाला निर्यास द्रव प्रातः पुरुष को एक चम्मच शहद से दें। यह शुक्राणुजनित कमजोरी जिसे ओलिगोस्पर्मीया भी कहा जाता है को दूर करने में मददगार होता है।
🌕-अश्वगंधा 1.5 ग्राम. शतावरी 1.5 ग्राम, सफ़ेद मुसली 1.5 ग्राम एवं कौंच बीज चूर्ण को 75 मिलीग्राम की मात्रा में गाय के दूध से सेवन करने से भी ईनफर्टीलीटी की समस्या में लाभ मिलता है I
🌕- शुद्ध शिलाजीत की 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम की मात्रा दूध के साथ नियमित सेवन भी मधुमेहजन्य ईनफर्टीलीटी को दूर करती हैI
🌕-अश्वगन्धा, कौन्च के बीज, सेमल के फूल, शतावरी , मोचरस, गोखरू, जायफल, ताल मखाना, मूसली, विदारीकन्द, सोठ, घी में भूनी हुयी ऊड़द की दाल, पोस्तादाना एवं वंशलोचन इन सभी द्रव्य एक एक हिस्सा लेकर महीन से महीन चूर्ण बना लें और इस सभी वस्तुओं के चूर्ण के हिस्से के बराबर शक्कर लें और इस शक्कर को महीन से महीन पीसकर उपरोक्त चूर्ण में मिला लें।इस चूर्ण का नियमित रूप से 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन I
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें