डेंगू ज्वर को आम भाषा में हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है यह रोग मच्छर के काटने से होने वाला रोग है जो कि डेंगू वायरस के कारण उत्पन्न होता है ! इस रोग में होने वाले लक्षणों के लिए संलग्न फोटो को देखें !
इस रोग में ब्लड प्लेटलेट्स कम होना तथा ब्लड प्लाज्मा का स्राव होना मुख्य रूप से होता है इस रोग में रोगी के शरीर का ब्लड प्रेशर भी बहुत तेजी से कम होने लगता है !
आयुर्वेद में इस रोग का कारगर उपचार उपलब्ध है .... आयुर्वेद औषधियों के माध्यम से रोग को आसानी से ठीक किया जा सकता है..!
इस रोग में रोगी के आहार का निर्धारण करना सबसे ज्यादा जरुरी है -
रोगी को आसानी से पचने वाले सुपाच्य आहार अल्प मात्रा में खाने को कहें !
पपीता, पपीते के पाती का स्वरस , गाय या बकरी का दूध (यदि बकरी का दूध मिल जाये तो लाभ और जल्दी मिलता है.), अनार, मौसमी , सेव , चीकू, किशमिश , मुनक्का , मूंग की दाल , गाजर , चुकंदर, सूप , लौकी , तोरई , कद्दू , परवल , टिंडा की पतली सब्जी, धनिया, जीरा आदि आहारों का अल्प मात्रा में प्रयोग करना चाहिए !
रोगी को आसानी से पचने वाले सुपाच्य आहार अल्प मात्रा में खाने को कहें !
पपीता, पपीते के पाती का स्वरस , गाय या बकरी का दूध (यदि बकरी का दूध मिल जाये तो लाभ और जल्दी मिलता है.), अनार, मौसमी , सेव , चीकू, किशमिश , मुनक्का , मूंग की दाल , गाजर , चुकंदर, सूप , लौकी , तोरई , कद्दू , परवल , टिंडा की पतली सब्जी, धनिया, जीरा आदि आहारों का अल्प मात्रा में प्रयोग करना चाहिए !
निम्न औषधियों का प्रयोग रोग इस रोग में लाभदायक है -
सर्व ज्वर हर लौह , सुदर्शन घन वटी , स्वर्ण सूत शेखर रस इनकी एक-एक गोली दिन में दो बार !
तालिसादि चूर्ण 60 ग्राम, अभ्रक भस्म 10 ग्राम, गिलोय सत्व 10 ग्राम , मुक्ता शुक्ति पिष्टी 10 ग्राम , स्वर्ण माक्षिक भस्म 10 ग्राम , प्रवाल पंचामृत / प्रवाल पिष्टी - 5 ग्राम इन सभी औषधियों को मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा शहद के साथ दिन में दो बार दें !
अमृता रिष्ट 15-15 ml दिन में दो बार दें . मकोय अर्क 10-10 ml दिन में दो बार , जय मंगल रस की 1 गोली रात्रि में 10 दिन तक दें !
(औषधियों की मात्रा वयस्क रोगी के अनुसार है रोग एवं रोगी की स्थिति के अनुसार मात्रा में परिवर्तन चिकित्सक अपने अनुसार करें !)
इन औषधियों के अतिरिक्त रोग और रोगी की स्थिति के अनुसार पथ्यादि क्वाथ और स्वर्ण बसंत मालती रस का प्रयोग आवश्यकता होने पर किया जा सकता है !
Note: कभी भी यह रोग होने पर या रोग से सम्बंधित लक्षण होने पर तुरंत अपने आयुर्वेद के चिकित्सक से मिलें ! इन औषधियों को प्रयोग बिना
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