चावल
धान को ओखली में या मशीनों द्वारा पीसकर उसके ऊपर छिल्कों को अलग किया जाता है। बिना छिलके के धान के दानों को चावल कहा जाता है। चावल के शीतल एवं शक्तिवर्द्धक होने के कारण दुनिया भर के लोग चावल का उपयोग दैनिक भोजन के रूप में करते हैं। चावल मुख्यत: बारिश के मौसम की फसल होती है।
कामोद, पंखाली, पंचसाल, आम्रमोर, राजभोग, जीरासार, कालीसार, रातीसार, बेरसाल, वॉकसाल, राजावल, हन्सराज, बासमती, इलायची, पी.आर 12, पी.आर 13 साबरमती आदि पतले और जाया, पन्त 4 आदि मोटे चावल की प्रमुख किस्में हैं।
आयुर्वेद के अनुसार केवल 60 दिनों में तैयार होने वाले साठी चावल अधिक गुणकारी माने जाते हैं। साठी चावल संग्रहणी, पेचिश और मंदाग्नि (भूख कम लगना) को समाप्त करता है। ये चावल पाचक और बलकारी होते हैं तथा वायु पैदा नहीं करते हैं अत: इन्हें निर्दोष एवं पथ्यकर माना गया है।
*चावल के विभिन्न उपयोग :*
1. यकृत शक्तिवर्द्धक:
सूर्योदय से पहले उठकर 1 चुटकी कच्चे चावल मुंह में रखकर पानी से सेवन करने से यकृत (जिगर) बहुत मजबूत होता है।
2. गर्मीनाशक:
चावल की प्रकृति ठण्डी होती है। पेट में गर्मी भारी होने पर एवं गर्मी के मौसम में रोजाना चावल खाने से शरीर को ठण्डक मिलती है।
3. पेचिश व रक्तप्रदर:
एक गिलास चावल के पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश व रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
4. दस्त:
चावल पकाने पर इसका उबला हुआ पानी जिसे माण्ड कहा जाता है। यह दस्तों के लिए लाभदायक होता है। बच्चों को आधा कप और जवानों को 1 कप हर घंटे के बाद पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। इसे छोटे बच्चों को कम मात्रा में पिला सकते हैं। इस माण्ड में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करने से यह स्वादिष्ट, पौष्टिक और सुपाच्य होता है। इसमें नमक मिलाकर इसे दस्तों में पीने से लाभ मिलता है। इस माण्ड को 6 घंटे से अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए।
उबले हुए चावल में सेंधानमक को मिलाकर छाछ या दही के साथ प्रयोग करने से अतिसार (दस्त) में आराम होता है।
चावल के पके हुए पानी को 2 चम्मच और 1 कप पानी में मिलाकर हर घंटे के बाद पीने से लाभ मिलता है।
चावलों को पकाकर प्राप्त मांड को या चावल को दही के साथ खाने से दस्त में लाभ मिलता है।
5. माण्ड बनाने की सरल विधि:
100 ग्राम चावल आटे की तरह पीस लेते हैं। इसे 1 लीटर पानी में उबालते हैं। भली प्रकार उबालने के पश्चात इसे छानकर स्वाद के अनुसार नमक मिला लेते हैं। इसे बच्चों को आधा कप और जवानों को 1 कप हर घंटे के बाद पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। इसे छोटे बच्चों को कम मात्रा में पिला सकते हैं। दस्तों में यह बहुत लाभकारी होता है।
6. कोलेस्ट्राल व रक्तचाप:
लम्बे समय तक चावल खाते रहने से कोलेस्ट्राल कम हो जाता है और रक्तचाप भी ठीक रहता है।
7. फोड़ा:
पिसे हुए चावलों की पोटली सरसों के तेल में बनाकर बांधने से फोड़ा फूट जाता है एवं पस निकल जाती है।
8. कब्ज:
1 भाग चावल और 2 भाग मूंग की दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
9. गर्भावस्था की वमन (उल्टी):
50 ग्राम चावल को लेकर 250 मिलीलीटर पानी में भिगो देते हैं। आधा घंटा बीतने के बाद इसमे 5 ग्राम धनिया भी डाल देते हैं। 10 मिनट के बाद इसे मलकर छानकर निकाल लेते हैं। 4 बार में इसे 4 हिस्से करके पिलाएं। इसके प्रयोग से गर्भवती स्त्री की उल्टी तुरन्त ही बंद हो जाती है।
10. भांग का नशा:
चावलों का पानी पीने से भांग का नशा उतर जाता है।
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