मंगलवार, 24 जनवरी 2012

घरेलू उपचार--कब्ज

कब्ज 

कब्ज होने पर रात्रि सोते समय दस बारह मुनक्के (पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कर बीज निकाल कर) दूध में उबाल कर खाएँ और ऊपर से वही दूध पी लें। प्रातः खुलकर शौच लगेगा। भयंकर कब्ज में तीन दिन लगातर लें और बाद में आवश्यकतानुसार कभी-कभी लें। 

या  त्रिफला चुर्ण चार ग्राम (एक चम्मच भर) २०० ग्राम हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है।

या दस ग्राम (दो चम्मच) ईसबगोल की भूसी छः घंटे पानी में भिगोकर इतनी ही मिश्री मिलाकर रात सोते समय जल के साथ लेने से दस्त साफ आता है। इसे केवल पानी के साथ वैसे ही, बिना भिगोये ही, रात्रि सोते समय लिया जा सकता है।

या ईसबगोल की भूसी दस से पन्द्रह ग्राम (दो से तीन चम्मच) की मात्रा में २०० ग्राम गर्म दूध में भिगो दें। यह फूलकर गाढ़ी हो जाएगी। इसे चीनी मिलाकर खाएँ और ऊपर से थोड़ा और गर्म दूध पी लें। शाम को इसे लें तो प्रातः मल बंधा हुआ साफ आ जाएगा।

या ईसबगोल की भूसी १० - १५ ग्राम की मात्रा में थोड़े गर्म दूध के साथ मिलाकर नित्य रात को सोते समय खाने से प्रातः को पेट साफ हो जाता है। दूध में आधा पानी मिलाकर एक या दो उबाल आने तक औटाना चाहिये।

या आरंड़ का तेल अवस्थानुसार एक से पांच चम्मच की मात्रा से एक कप गर्म पानी या दूध में मिलाकर रात सोते समय पीने से कब्ज दूर होकर साफ आता है।

या आरंड़ का तेल बहुत ही अच्छा हानि रहित जुलाब है। इसे छोटे बच्चे को भी दिया जा सकता है और दूध के विकार से पेट दर्द तथा उल्टी होने की अवस्था में भी इसका प्रयोग बहुत हितकारी होता है।

या पुराना से पुराना अथवा बिगड़ा हुआ कब्ज - दो संतरों का रस खाली पेट प्रातः आठ दस दिन पीने से पुराना से पुराना अथवा बिगड़ा हुआ कैसा भी कब्ज हो, ठीक हो जाता है।
कब्ज रोग एवं उपचारः
कब्ज शरीर के समस्त रोगों की जड़ है। परन्तु प्रश्न यह उठता है कि कब्ज क्या हैं ? कब्ज का संबंध पाचन क्रिया से है। जब मानव शरीर की पाचन क्रिया बिगड़ जाती है, अर्थात् जो भोजन हम करते हैं, वह सही ढंग से न पचना, आंतों में फंसा रह जाना, जिसकी वजह से गैस बनना, पेट में दर्द रहना, मिचली आना, शौच जाने में समय लगना एवं नित्य पेट साफ न होना, दिन में तीन चार बार शौच जाना, पेट गुडगुडा़ना, बदबूदार गैस निकलना और खट्टी डकारें आना आदि अनेकों परेशानियां पैदा हो जाती हैं, जिससे नये-नये रोगों की उत्पत्ति होती है। मानव शरीर को जरूरी है कि वह इन परिस्थितियों से बचे, तभी पूर्ण स्वस्थ्य रह सकते हैं। नीचे कब्ज रोग दूर करने हेतु कुछ नुस्खे दिए जा रहे हैं, जो प्रामाणिक एवं अनुभूत हैं- 
1-  त्रिफला (हर्र, बहेड़ा, आंवला) तीनों समान मात्रा में कूट पीसकर रख लें। 3 ग्राम से 5 ग्राम तक की मात्रा रात्रि में सोते समय गुनगुने पानी के साथ लें। लगातार कुछ दिनों तक लेने से लाभ अवश्य देगा। साथ ही रात्रि में तांबे के पात्र में पानी रख लें एवं सुबह उसे पी लें। इसके दस मिनट बाद शौच जायें, आराम से पेट साफ होगा।
2-  पंसारी के यहां से छोटी हरड़ ले लें। प्रतिदिन कम से कम दो या तीन हरड़ अवश्य चूसें, चूस कर ही यह पेट में जाय। लगातार कुछ दिन इसका प्रयोग करने पर हर तरह की कब्ज दूर  हो जाती है।
3-  त्रिफला 25ग्राम, सौंफ25ग्राम, सोंठ 5ग्राम, बादाम 50ग्राम, मिश्री 20ग्राम लें और गुलाब के  फूल 50 ग्राम भी लें। सभी को कूट-पीसकर एक शीशी में रख लें। रात्रि में सोते समय 5 से 7ग्राम तक दवा दूध या शहद के साथ लें। यह नुस्खा अपने आपमें चमत्कारी है। इस नुस्खे से न आंतों की खुश्की का डर रहता है और न ही कमजोरी का।
नोटः-जिन्हें कब्ज की शिकायत हो, वे ध्यान दें कि वे गरिष्ठ चीजें, तली चीजें, उरद आदि का सेवन कम मात्रा में करें। गेहूं का आटा भी ज्यादा महीन न पिसायें और चोकर न निकालें। आठवां हिस्सा गेहूं में चना मिला आटे की रोटी का सेवन करें। थोड़ा मेहनत या योग आदि जरूर करें। पानी ज्यादा से ज्यादा पियें, पूर्ण लाभ होगा। 
        यह शरीर आयुर्वेद के मतानुसार त्रिधातु (बात, पित्त, कफ) के सन्तुलन से सुचारू रूप से चलता है। जब तक यह त्रिधातु सामान्य रूप से इस शरीर में गतिमान रहती है, तब तक यह शरीर पूर्णतः निरोग एवं स्वस्थ रहता है, जब भी इनमें असमानता आती है तो उसी के अनुसार शरीर में रोगों का प्रभाव दिखने लगता है। हम इस लेख में इस शरीर के अन्दर विद्यमान त्रिधातुओं का पहला अंग वात दोष से संबंधित जानकारी दे रहे हैैं। यह दोष विश्व के 35 प्रतिशत लोगों को प्रभावित रखता है।

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