मधुमेह एक जटिल रोग है। इसे शुगर भी कहा जाता है। इस रोग के बारे में चरक और शुश्रुत ने भी 3 हजार साल पहले अपने ग्रंथों में इसका विवरण किया है। आज भी इस रोग के सफल इलाज के लिए शोध चल रहा है। मधुमेह जानलेवा मीठा जहर है। जो एक बार किसी व्यक्ति को हो जाये तो जिंदगी भर इस रोग को झेलना पड़ता है। आजकल यह रोग वृद्धों के साथ-साथ युवाओं को भी प्रभावित कर रहा है। और यह रोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, सही जानकारी ही इसका कारगर इलाज है।
डायबिटीज के मुख्य कारण:
1. खान-पान पर ध्यान न देने की वजह से।
2. पाश्चात्य जीवनशैली को अपनाना।
3. यह रोग बैठकर काम करने वाले लोगों को भी हो सकता है।
4. मिठाईयों का अधिक मात्रा में सेवन करना।
5. अधिक मात्रा में नशीले पदार्थों का सेवन करने से।
6. अनुवांशिक प्रभाव से भी यह रोग हो सकता है।
7. चिंता और मानसिक रोग से भी मधुमेह हो सकता है।
डायबिटीज के लक्षण:
डायबिटीज के मुख्य कारण:
1. खान-पान पर ध्यान न देने की वजह से।
2. पाश्चात्य जीवनशैली को अपनाना।
3. यह रोग बैठकर काम करने वाले लोगों को भी हो सकता है।
4. मिठाईयों का अधिक मात्रा में सेवन करना।
5. अधिक मात्रा में नशीले पदार्थों का सेवन करने से।
6. अनुवांशिक प्रभाव से भी यह रोग हो सकता है।
7. चिंता और मानसिक रोग से भी मधुमेह हो सकता है।
डायबिटीज के लक्षण:
1. इस रोग में रोगी को भूख-प्यास ज्यादा लगती रहती है।
2. थोड़ीसी मेहनत करने में शरीर का थक जाना।
3. बार-बार मूत्र जाने की शिकायत होना।
4. ब्लडप्रेशर का बढ़ना।
5. शरीर की त्वचा का रूखा होना और फिर खुजलाहट का बढ़ना, स्त्रियों में योनि में खुजलाहट होना और पुरूषों में लिंग में खुजलाहट का होना।
6. आंखों से धुंधला दिखना।
7. इस रोग के रोगी के घाव आसानी से नहीं भरते।
8. शरीर में सूजन आना।
डायबिटीज का वैदिक उपचार:
मधुमेह की बीमारी से बचने का सबसे पहला नियम है उपने खान-पान पर ध्यान देना, घूमना, व्यायाम करना अति जरूरी है।
1. 15 से 20 बेलपत्र चबाने से मधुमेह नियंत्रित होता है।
2. मेथी के दानों को स्टील के बर्तन में भिगोकर रखें और इसका सेवन दिन में 2 से 3 बार करने से शुगर में लाभ मिलता है।
3. प्रतिदिन कम से कम 2 किलोमीटर तक चलें।
4. खाने में जौ और चने का इस्तेमाल अधिक से अधिक करें।
5. करेले का जूस नियमित रूप से लें।
6. 1 चम्मच आंवले के जूस को 1 चम्मच करेले के जूस में मिला लें और दिन में 2 बार इसका सेवन करें एैसा करने से शुगर नियंत्रित रहता है।
7. मीठे फलों जैसे आम, अंगूर और अनानास आदि से दूर रहें ।
8. मीठा, खट्टा, ताजा अनाज, चावल, आलू, तेल और मसालेदार भोजन आदि से बचें।
9. प्याज, लहसुन, कच्चा केला और काले बेर का प्रयोग अधिक से अधिक करें।
10. मेथी, तोरई, लौकी, मूली, टमाटर, गाजर, पुदीना, अदरक आदि का सेवन करना भी मधुमेह में लाभदायक है।
11. जामुन की गुठली को चूसें और हो सके तो चबा भी सकते हो।
12. गाय की घी, हींग, जीरा, धनिया, सोंठ, सेंधा नमक आदि का सेवन करना भी मधुमेह को कम करने में लाभदायक है।
इन वैदिक उपायों को करने से पहले सबसे ज्यादा जरूरी है अपने आप पर नियंत्रण रखना और साथ ही समय-समय पर डाॅक्टर से चेकअप करवाना।
2. थोड़ीसी मेहनत करने में शरीर का थक जाना।
3. बार-बार मूत्र जाने की शिकायत होना।
4. ब्लडप्रेशर का बढ़ना।
5. शरीर की त्वचा का रूखा होना और फिर खुजलाहट का बढ़ना, स्त्रियों में योनि में खुजलाहट होना और पुरूषों में लिंग में खुजलाहट का होना।
6. आंखों से धुंधला दिखना।
7. इस रोग के रोगी के घाव आसानी से नहीं भरते।
8. शरीर में सूजन आना।
डायबिटीज का वैदिक उपचार:
मधुमेह की बीमारी से बचने का सबसे पहला नियम है उपने खान-पान पर ध्यान देना, घूमना, व्यायाम करना अति जरूरी है।
1. 15 से 20 बेलपत्र चबाने से मधुमेह नियंत्रित होता है।
2. मेथी के दानों को स्टील के बर्तन में भिगोकर रखें और इसका सेवन दिन में 2 से 3 बार करने से शुगर में लाभ मिलता है।
3. प्रतिदिन कम से कम 2 किलोमीटर तक चलें।
4. खाने में जौ और चने का इस्तेमाल अधिक से अधिक करें।
5. करेले का जूस नियमित रूप से लें।
6. 1 चम्मच आंवले के जूस को 1 चम्मच करेले के जूस में मिला लें और दिन में 2 बार इसका सेवन करें एैसा करने से शुगर नियंत्रित रहता है।
7. मीठे फलों जैसे आम, अंगूर और अनानास आदि से दूर रहें ।
8. मीठा, खट्टा, ताजा अनाज, चावल, आलू, तेल और मसालेदार भोजन आदि से बचें।
9. प्याज, लहसुन, कच्चा केला और काले बेर का प्रयोग अधिक से अधिक करें।
10. मेथी, तोरई, लौकी, मूली, टमाटर, गाजर, पुदीना, अदरक आदि का सेवन करना भी मधुमेह में लाभदायक है।
11. जामुन की गुठली को चूसें और हो सके तो चबा भी सकते हो।
12. गाय की घी, हींग, जीरा, धनिया, सोंठ, सेंधा नमक आदि का सेवन करना भी मधुमेह को कम करने में लाभदायक है।
इन वैदिक उपायों को करने से पहले सबसे ज्यादा जरूरी है अपने आप पर नियंत्रण रखना और साथ ही समय-समय पर डाॅक्टर से चेकअप करवाना।
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