पीलिया (पांडु रोग)
पीलिया एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है । यह बीमारी मनुष्य के लिए कभी - कभी जानलेवा भी हो जाती है । इस बीमारी में मनुष्य का खून पीला पड़ने लगता है और शरीर कमजोर हो जाता है। इस बीमारी का मुख्य कारण पाचन शक्ति का सही ढंग से काम न करना । मनुष्य की पाचन शक्ति ख़राब होने के कारण खून बनना बंद हो जाता है और उनके शरीर का रंग धीरे - धीरे पीला पड़ने लगता है । इसी को हम पीलिया कहते है। पीलिया की बीमारी होने पर रोगी को समय रहते ही इसका उपचार करना चाहिए। नही तो ये जानलेवा बन जाती है ।
'चरक’ में लिखा है- हृदय का फडकना, देह का रूखा सा होना, पसीना न आना एवं बिना मेहनत किए थकान सी होना ये पीलिया के पूर्व लक्षण हैें। ‘सुश्रुत’ ने लिखा है जब पाण्डु रोग होने वाला होता है तब चमड़े का फटना, बार बार थूकना, अंगो का भड़कना,
मिट्टी खाने मे रूचि होना, आँखों पर सूजन आना, मल मूत्र पीला होना , खाना न पचना- ये लक्षण नजर आते हैं। 'वाग्भट्ट’ ने भी इसी प्रकार मिलते जुलते लक्षण बताए हैं। ‘माधव निदान’ ग्रन्थ में पाण्डुरोग पाँच प्रकार के बताए हैं। (1) वात का (2) पित्त का (3) कफ का (4) सन्निपात का (5) मिट्टी का।
पीलिया एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है । यह बीमारी मनुष्य के लिए कभी - कभी जानलेवा भी हो जाती है । इस बीमारी में मनुष्य का खून पीला पड़ने लगता है और शरीर कमजोर हो जाता है। इस बीमारी का मुख्य कारण पाचन शक्ति का सही ढंग से काम न करना । मनुष्य की पाचन शक्ति ख़राब होने के कारण खून बनना बंद हो जाता है और उनके शरीर का रंग धीरे - धीरे पीला पड़ने लगता है । इसी को हम पीलिया कहते है। पीलिया की बीमारी होने पर रोगी को समय रहते ही इसका उपचार करना चाहिए। नही तो ये जानलेवा बन जाती है ।
'चरक’ में लिखा है- हृदय का फडकना, देह का रूखा सा होना, पसीना न आना एवं बिना मेहनत किए थकान सी होना ये पीलिया के पूर्व लक्षण हैें। ‘सुश्रुत’ ने लिखा है जब पाण्डु रोग होने वाला होता है तब चमड़े का फटना, बार बार थूकना, अंगो का भड़कना,
मिट्टी खाने मे रूचि होना, आँखों पर सूजन आना, मल मूत्र पीला होना , खाना न पचना- ये लक्षण नजर आते हैं। 'वाग्भट्ट’ ने भी इसी प्रकार मिलते जुलते लक्षण बताए हैं। ‘माधव निदान’ ग्रन्थ में पाण्डुरोग पाँच प्रकार के बताए हैं। (1) वात का (2) पित्त का (3) कफ का (4) सन्निपात का (5) मिट्टी का।
उपचार :-
1..... लौह भस्म, गोदन्ती भस्म, सौंठ, मिर्च पीपल ओर कंकोल ये सब 10-10 ग्राम लेकर कूट पीसकर कपड़े से या मैदा वाली छन्नी से छान लें। नोट :- लौह भस्म अलग रखे इसे सब छानी गई दवा में बाद में मिला दें। इन सभी चूर्ण के बराबर ‘सोनामक्खी भस्म’ मिला दें। नोट :- (यह कोई जीव नहीं है यह भस्म शुद्ध है जैसे—कई रोग जानकारी न होने से ‘गोदन्ती भस्म’ की (गाय के दाँत) भस्म मानकर लेने से मना कर देते हैं। यह भी एक पत्थर की भस्म है। सोना मक्खी को स्वर्णमाक्षिक भी कहते हैं। पूरी दवा एकत्र कर जल में पत्थर की सिल पर पानी मिला घोटें और 1-1 रत्ती की गोली बना लें।
सेवन विधि :- 1-1 गोली मिश्री के साथ खाने से व ऊपर से मट्ठा पीने से पाण्डु रोग शीघ्र ठीक हो जाता है (परीक्षित है) इससे सभी प्रकार के पाण्डु रोग ठीक होते हैं।
2..... सौंठ, मिर्च, पीपल, हरड़, बहेड़ा, आँवला, नागरमौथा, वायविंडग और चीते की छाल (चितावर) यह वृक्ष की छाल है। सभी द्रव्य एक एक तोला, कूट पीसकर कपड़े से छान लो फिर इसमें तीन तोला लौह भस्म मिला दो एवं सभी को एक शीशी या डिब्बे में रख लो। सेवन विधि :- 3-3 रत्ती दवा मिश्री के साथ या घी के साथ सुुबह-शाम दो बार सेवन कराएँ।
3...... पुनर्नवा (जड़ी) निशोध, सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, वायविडंग देवदारू, चीता (चितावर) मीठा कूट हल्दी, हर्र, बहेड़ा आँवला, दन्ती, चव्य, इन्द्रजो, कुटकी, पीपरामूल, नागरमोथा, कड़कड़ासिंग्गी, कालाजीरा, अजवाइन, कायफल इन सबको 50-50 ग्राम लेकर चूर्ण कपड़छन कर लो।
इनमें सबके बराबर या 25 ग्राम मण्डूर भस्म मिलाकर, पुराना गुड़ मिलाकर 3-3 रत्ती की गोली बना लें। फिर 1 से 2 गोली उम्रानुसार सुबह शाम खिलाए। सभी प्रकार के पीलिया की रामबाण औषधि है।
4..... बंदाल डोडा (कड़वी बन तोरी) नक छिंकनी, मोथे की जड़ सभी सम भाग लेकर नसवार बना लें। सुबह शाम दो बार सुंघावे।
5..... बंदाल डोडा को रात को पानी में भिगो दे। सुबह निकालकर नाक मे दो दो बूंद निचोड़ दें।
1..... लौह भस्म, गोदन्ती भस्म, सौंठ, मिर्च पीपल ओर कंकोल ये सब 10-10 ग्राम लेकर कूट पीसकर कपड़े से या मैदा वाली छन्नी से छान लें। नोट :- लौह भस्म अलग रखे इसे सब छानी गई दवा में बाद में मिला दें। इन सभी चूर्ण के बराबर ‘सोनामक्खी भस्म’ मिला दें। नोट :- (यह कोई जीव नहीं है यह भस्म शुद्ध है जैसे—कई रोग जानकारी न होने से ‘गोदन्ती भस्म’ की (गाय के दाँत) भस्म मानकर लेने से मना कर देते हैं। यह भी एक पत्थर की भस्म है। सोना मक्खी को स्वर्णमाक्षिक भी कहते हैं। पूरी दवा एकत्र कर जल में पत्थर की सिल पर पानी मिला घोटें और 1-1 रत्ती की गोली बना लें।
सेवन विधि :- 1-1 गोली मिश्री के साथ खाने से व ऊपर से मट्ठा पीने से पाण्डु रोग शीघ्र ठीक हो जाता है (परीक्षित है) इससे सभी प्रकार के पाण्डु रोग ठीक होते हैं।
2..... सौंठ, मिर्च, पीपल, हरड़, बहेड़ा, आँवला, नागरमौथा, वायविंडग और चीते की छाल (चितावर) यह वृक्ष की छाल है। सभी द्रव्य एक एक तोला, कूट पीसकर कपड़े से छान लो फिर इसमें तीन तोला लौह भस्म मिला दो एवं सभी को एक शीशी या डिब्बे में रख लो। सेवन विधि :- 3-3 रत्ती दवा मिश्री के साथ या घी के साथ सुुबह-शाम दो बार सेवन कराएँ।
3...... पुनर्नवा (जड़ी) निशोध, सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, वायविडंग देवदारू, चीता (चितावर) मीठा कूट हल्दी, हर्र, बहेड़ा आँवला, दन्ती, चव्य, इन्द्रजो, कुटकी, पीपरामूल, नागरमोथा, कड़कड़ासिंग्गी, कालाजीरा, अजवाइन, कायफल इन सबको 50-50 ग्राम लेकर चूर्ण कपड़छन कर लो।
इनमें सबके बराबर या 25 ग्राम मण्डूर भस्म मिलाकर, पुराना गुड़ मिलाकर 3-3 रत्ती की गोली बना लें। फिर 1 से 2 गोली उम्रानुसार सुबह शाम खिलाए। सभी प्रकार के पीलिया की रामबाण औषधि है।
4..... बंदाल डोडा (कड़वी बन तोरी) नक छिंकनी, मोथे की जड़ सभी सम भाग लेकर नसवार बना लें। सुबह शाम दो बार सुंघावे।
5..... बंदाल डोडा को रात को पानी में भिगो दे। सुबह निकालकर नाक मे दो दो बूंद निचोड़ दें।
पीलिया से सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए आप निचे दिए गए लेख जरूर पड़ें, यहाँ पर पीलिया के बारे में साड़ी जानकारी दी गई हैं, जैसे लक्षण, उपचार, घरेलु इलाज, आयुर्वेदिक इलाज आदि इस रोग में क्या खाये क्या न खाये सब कुछ दिया गया हैं आप इनको एक-एक कर सभी पड़ें ताकि आपको पीलिया के बारे में पूर्ण जानकारी हो जाए.
जवाब देंहटाएंजानिये पीलिया के लक्षण - 10 Symptoms Of Jaundice in Hindi
Jaundice Treatment in Hindi - 31 Ayurvedic Remedies
पीलिया का इलाज रामबाण व अनोखा घरेलु उपचार इन हिंदी - जरूर पड़े
हल्दी से करे पीलिया का आयुर्वेदिक उपचार
पीलिया में क्या खाये और क्या नहीं खाना चाहिए (Jaundice Diet)
Dhanyavad is behtreen article k liye
जवाब देंहटाएंIsse Hume bahut avashyak jankari prapt Hui sath hi yeh oro ki bhi madad karega or garmi ke time me piliya ek bahut hi ghatak bemari h jisse Hume bahut bachke Rehna chaiye