शनिवार, 23 जनवरी 2016

अमरूद के लाभ

अमरूद के लाभ

1 शक्ति (ताकत) और वीर्य की वृद्धि के लिए :- अच्छी तरह पके नरम, मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर सुबह नियमित रूप से 21 दिन सेवन करना धातुवर्द्धक होता है।

2 पेट दर्द :- *नमक के साथ पके अमरूद खाने से आराम मिलता है।
*अमरूद के पेड़ के कोमल 50 ग्राम पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से लाभ होगा।
*अमरूद के पेड़ की पत्तियों को बारीक पीसकर काले नमक के साथ चाटने से लाभ होता है।
*अमरूद के फल की फुगनी (अमरूद के फल के नीचे वाले छोटे पत्ते) में थोड़ा-सी मात्रा में सेंधानमक को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से पेट में दर्द समाप्त होता है।
*यदि पेट दर्द की शिकायत हो तो अमरूद की कोमल पित्तयों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आराम होता है। अपच, अग्निमान्द्य और अफारा के लिए अमरूद बहुत ही उत्तम औषधि है। इन रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को 250 ग्राम अमरूद भोजन करने के बाद खाना चाहिए। जिन लोगों को कब्ज न हो तो उन्हें खाना खाने से पहले खाना चाहिए।"

3 बवासीर (पाइल्स) :- *सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
*पके अमरुद खाने से पेट का कब्ज खत्म होता है, जिससे बवासीर रोग दूर हो जाता है।
*कुछ दिनों तक रोजाना सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना उत्तम है। *मल-त्याग करते समय बांयें पैर पर जोर देकर बैठें। इस प्रयोग से बवासीर नहीं होती है और मल साफ आता है।"

4 सूखी खांसी :- *गर्म रेत में अमरूद को भूनकर खाने से सूखी, कफयुक्त और काली खांसी में आराम मिलता है। यह प्रयोग दिन में तीन बार करें।
*एक बड़ा अमरूद लेकर उसके गूदे को निकालकर अमरूद के अंदर थोड़ी-सी जगह बनाकर अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में भर देते हैं। इसके बाद अमरूद में कपड़ा भरकर ऊपर से मिट्टी चढ़ाकर तेज गर्म उपले की राख में भूने, अमरूद के भुन जाने पर मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद पीसकर छान लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम मिलाकर चाटने से सूखी खांसी में लाभ होता है।"

5 दांतों का दर्द :- *अमरूद की कोमल पत्तियों को चबाने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।
*अमरूद के पत्तों को दांतों से चबाने से आराम मिलेगा।
*अमरूद के पत्तों को जल में उबाल लें। इसे जल में फिटकरी घोलकर कुल्ले करने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।
*अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों की पीड़ा दूर होती है। मसूढ़ों में दर्द, सूजन और दातों में दर्द होने पर अमरूद के पत्तों को उबालकर गुनगुने पानी से कुल्ले करें।"

6 आधाशीशी (आधे सिर का दर्द) :- *आधे सिर के दर्द में कच्चे अमरूद को सुबह पीसकर लेप बनाएं और उसे मस्तक पर लगाएं।
*सूर्योदय के पूर्व ही सवेरे हरे कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से सिर दर्द नहीं उठने पाता, अगर दर्द शुरू हो गया हो तो शांत हो जाता है। यह प्रयोग दिन में 3-4 बार करना चाहिए।"

7 जुकाम :- रुके हुए जुकाम को दूर करने के लिए बीज निकला हुआ अमरूद खाएं और ऊपर से नाक बंदकर 1 गिलास पानी पी लें। जब 2-3 दिन के प्रयोग से स्राव (बहाव) बढ़ जाए, तो उसे रोकने के लिए 50-100 ग्राम गुड़ खा लें। ध्यान रहे- कि बाद में पानी न पिएं। सिर्फ 3 दिन तक लगातार अमरूद खाने से पुरानी सर्दी और जुकाम दूर हो जाती है।
लंबे समय से रुके हुए जुकाम में रोगी को एक अच्छा बड़ा अमरूद के अंदर से बीजों को निकालकर रोगी को खिला दें और ऊपर से ताजा पानी नाक बंद करके पीने को दें। 2-3 दिन में ही रुका हुआ जुकाम बहार साफ हो जायेगा। 2-3 दिन बाद अगर नाक का बहना रोकना हो तो 50 ग्राम गुड़ रात में बिना पानी पीयें खा लें"

8 मलेरिया :- *मलेरिया बुखार में अमरूद का सेवन लाभकारी है। नियमित सेवन से तिजारा और चौथिया ज्वर में भी आराम मिलता है।
*अमरूद और सेब का रस पीने से बुखार उतर जाता है।
*अमरूद को खाने से मलेरिया में लाभ होता है।"

9 भांग का नशा :- 2-4 अमरूद खाने से अथवा अमरूद के पत्तों का 25 ग्राम रस पीने से भांग का नशा उतर जाता है।

10 मानसिक उन्माद (पागलपन) :- *सुबह खाली पेट पके अमरूद चबा-चबाकर खाने से मानसिक चिंताओं का भार कम होकर धीरे-धीरे पागलपन के लक्षण दूर हो जाते हैं और शरीर की गर्मी निकल जाती है।
*250 ग्राम इलाहाबादी मीठे अमरूद को रोजाना सुबह और शाम को 5 बजे नींबू, कालीमिर्च और नमक स्वाद के अनुसार अमरूद पर डालकर खा सकते हैं। इस तरह खाने से दिमाग की मांस-पेशियों को शक्ति मिलती है, गर्मी निकल जाती है, और पागलपन दूर हो जाता है। दिमागी चिंताएं अमरूद खाने से खत्म हो जाती हैं।"

11 पेट में गड़-बड़ी होने पर :- अमरूद की कोंपलों को पीसकर पिलाना चाहिए।

12 ठंडक के लिए :- अमरूद के बीजों को निकालकर पीसें और लड्डू बनाकर गुलाब जल में शक्कर के साथ पियें।

13 अमरूद का मुरब्बा :- अच्छी किस्म के तरोताजा बड़े-बड़े अमरूद लेकर उसके छिलकों को निकालकर टुकड़े कर लें और धीमी आग पर पानी में उबालें। जब अमरूद आधे पककर नरम हो जाएं, तब नीचे उतारकर कपड़े में डालकर पानी निकाल लें। उसके बाद उससे 3 गुना शक्कर लेकर उसकी चासनी बनायें और अमरूद के टुकड़े उसमें डाल दें। फिर उसमें इलायची के दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बनायें। ठंडा होने पर इस मुरब्बे को चीनी-मिट्टी के बर्तन में भरकर, उसका मुंह बंद करके थोड़े दिन तक रख छोड़े। यह मुरब्बा 20-25 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से कोष्ठबद्धता (कब्जियत) दूर होती है।

14 आंखों के लिए :- *अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर रात को सोते समय आंख पर बांधने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है। आंखों की लालिमा, आंख की सूजन और वेदना तुरंत मिट जाती है।
*अमरूद के पत्तों की पुल्टिस (पोटली) बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन, आंखे लाल होना और आंखों में दर्द करना आदि रोग दूर होते हैं।"

15 कब्ज :- *250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
*अमरूद के कोमल पत्तों के 10 ग्राम रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन केवल एक बार सुबह सेवन करने से 7 दिन में अजीर्ण (पुरानी कब्ज) में लाभ होता है।
*अमरूद को नाश्ते के समय कालीमिर्च, कालानमक, अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा (पेट फूलना) की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी। नाश्ते में अमरूद का सेवन करें। सख्त कब्ज में सुबह-शाम अमरूद खाएं।
*अमरूद को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से 3-4 दिन में ही मलशुद्धि होने लग जाती है। कोष्ठबद्धता मिटती है एवं कब्जियत के कारण होने वाला आंखों की जलन और सिर दर्द भी दूर होता है।
*अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है और कब्ज दूर हो जाता है। इसे खाना खाने से पहले ही खाना चाहिए, क्योंकि खाना खाने के बाद खाने से कब्ज करता है। कब्ज वालों को सुबह के समय नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह और शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे पेट साफ हो जाता है।
*अमरूद खाने से या अमरूद के साथ किशमिश के खाने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती है।"

16 कुकर खांसी, काली खांसी (हूपिंग कफ) :- *एक अमरूद को भूभल (गर्म रेत या राख) में सेंककर खाने से कुकर खांसी में लाभ होता है। छोटे बच्चों को अमरूद पीसकर अथवा पानी में घोलकर पिलाना चाहिए। अमरूद पर नमक और कालीमिर्च लगाकर खाने से कफ निकल जाती है। 100 ग्राम अमरूद में विटामिन-सी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक होता है। यह हृदय को बल देता है। अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है। कब्ज से ग्रस्त रोगियों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह-शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे दस्त साफ आएगा, अजीर्ण और गैस दूर होगी। अमरूद को सेंधानमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
*एक कच्चे अमरूद को लेकर चाकू से कुरेदकर उसका थोड़ा-सा गूदा निकाल लेते हैं। फिर इस अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर भर देते हैं। इसके बाद अमरूद पर कपड़ा लपेटकर उसमें गीली मिट्टी का लेप चढ़ाकर आग में भून लेते हैं पकने के बाद इसके ऊपर से मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद को पीस लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से काली खांसी में लाभ होता है।
*एक अमरूद को गर्म बालू या राख में सेंककर सुबह-शाम 2 बार खाने से काली खांसी ठीक हो जाती है।"

17 रक्तविकार के कारण फोड़े-फुन्सियों का होना :- 4 सप्ताह तक नित्य प्रति दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाएं। इससे पेट साफ होगा, बढ़ी हुई गर्मी दूर होगी, रक्त साफ होगा और फोड़े-फुन्सी, खाज-खुजली ठीक हो जाएगी।

18 पुरानी सर्दी :- 3 दिनों तक केवल अमरूद खाकर रहने से बहुत पुरानी सर्दी की शिकायत दूर हो जाती है।

19 पुराने दस्त :- अमरूद की कोमल पित्तयां उबालकर पीने से पुराने दस्तों का रोग ठीक हो जाता है। दस्तों में आंव आती रहे, आंतों में सूजन आ जाए, घाव हो जाए तो 2-3 महीने लगातार 250 ग्राम अमरूद रोजाना खाते रहने से दस्तों में लाभ होता है। अमरूद में-टैनिक एसिड होता है, जिसका प्रधान काम घाव भरना है। इससे आंतों के घाव भरकर आंते स्वस्थ हो जाती हैं।

20 कफयुक्त खांसी :- एक अमरूद को आग में भूनकर खाने से कफयुक्त खांसी में लाभ होता है।

21 मस्तिष्क विकार :- अमरूद के पत्तों का फांट मस्तिष्क विकार, वृक्क प्रवाह और शारीरिक एवं मानसिक विकारों में प्रयोग किया जाता है।

22 आक्षेपरोग :- अमरूद के पत्तों के रस या टिंचर को बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से उनका आक्षेप का रोग दूर हो जाता है।

23 हृदय :- अमरूद के फलों के बीज निकालकर बारीक-बारीक काटकर शक्कर के साथ धीमी आंच पर बनाई हुई चटनी हृदय के लिए अत्यंत हितकारी होती है तथा कब्ज को भी दूर करती है।

24 हृदय की दुर्बलता :- *अमरूद को कुचलकर उसका आधा कप रस निकाल लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू का रस डालकर पी जाए।
*अमरूद में विटामिन-सी होता है। यह हृदय में नई शक्ति देकर शरीर में स्फूर्ति पैदा करता है। इसे दमा व खांसी वाले न खायें।"

25 खांसी और कफ विकार :- *यदि सूखी खांसी हो और कफ न निकलता हो तो, सुबह ही सुबह ताजे एक अमरूद को तोड़कर, चाकू की सहायता के बिना चबा-चबाकर खाने से खांसी 2-3 दिन में ही दम तोड़ देती है।
*अमरूद का रस भवक यन्त्र द्वारा निकालकर उसमें श
हद मिलाकर पीने से भी सूखी खांसी में लाभ होता है।
*यदि बलगम खूब पड़ता हो और खांसी अधिक हो, दस्त साफ न हो हल्का बुखार भी हो तो अच्छे ताजे मीठे अमरूदों को अपनी इच्छानुसार खायें।
*यदि जुकाम की साधारण खांसी हो तो अधपके अमरूद को आग में भूनकर उसमें नमक लगाकर खाने से लाभ होता है।"

26 वमन (उल्टी) :- अमरूद के पत्तों के 10 ग्राम काढ़े को पिलाने से वमन या उल्टी बंद हो जाती है।

27 तृष्ण (अधिक प्यास लगना) :- अमरूद के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पानी में डाल दें। कुछ देर बाद इस पानी को पीने से मधुमेह (शूगर) या बहुमूत्र रोग के कारण तृष्ण में उत्तम लाभ होता है।

28 अतिसार (दस्त) :- *बच्चे का पुराना अतिसार मिटाने के लिए इसकी 15 ग्राम जड़ को 150 ग्राम पानी में ओटाकर, जब आधा पानी शेष रह जाये तो 6-6 ग्राम तक दिन में 2-3 बार पिलाना चाहिए।
*कच्चे अमरूद के फल उबालकर खिलाने से भी अतिसार मिटता है।
*अमरूद की छाल व इसके कोमल पत्तों का 20 मिलीलीटर क्वाथ पिलाने से हैजे की प्रारिम्भक अवस्था में लाभ होता है।"

29 प्रवाहिका :- अमरूद का मुरब्बा प्रवाहिका एवं अतिसार में लाभदायक है।

30 गुदाभ्रंश (गुदा से कांच का निकलना) :- *बच्चों के गुदभ्रंश रोग पर इसकी जड़ की छाल का काढ़ा गाढ़ा-गाढ़ा लेप करने से लाभ होता है।
*तीव्र अतिसार में गुदाभ्रंश होने पर अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर बांधने से सूजन कम हो जाती है और गुदा अंदर बैठ जाता है।
*आंतरिक प्रयोग के लिए अमरूद और नागकेशर दोनों को महीन पीसकर उड़द के समान गोलियां बनाकर देनी चाहिए।
*अमरूद के पेड़ की छाल, जड़ और पत्ते, बराबर-बराबर 250 ग्राम लेकर पीसकर रख लें तथा 1 किलो पानी में उबालें, जब आधा पानी शेष रह जायें, तब इस काढ़े से गुदा को बार-बार धोना चाहिए और उसे अंदर धकेलें। इससे गुदा अंदर चली जायेगी।
*अमरूद के पेड़ की छाल 50 ग्राम, अमरूद की जड़ 50 ग्राम और अमरूद के पत्ते 50 ग्राम को मिलाकर कूटकर 400 ग्राम पानी में मिलाकर उबाल लें। आधा पानी शेष रहने पर छानकर गुदा को धोऐं। इससे गुदाभ्रंश (कांच निकलना) ठीक होता है।
*अमरूद के पत्तों को पसकर इसके लुगदी (पेस्ट) गुदा को अंदर कर मलद्वार पर बांधने से गुदा बाहर नहीं निकलता है।"

31 घुटनों के दर्द में :- अमरूद के कोमल पत्तों को पीसकर गठिया के वेदना युक्त स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है।

32 विषम ज्वर या मलेरिया बुखार :- विषम ज्वर या मलेरिया बुखार

33 बुखार :- अमरूद के कोमल पत्तों को पीस-छानकर पिलाने से ज्वर के उपद्रव्य दूर होते है।

34 विदाह (पित्त की जलन) में :- अमरूद के बीज निकालकर पीसकर गुलाब जल और मिसरी मिला कर पीने से अत्यंत बढ़े हुए पित्त और विदाह की शांति होती है।

35 भांग या धतूरे का नशा :- अमरूद के पत्तों के स्वरस को भरपेट पिलाने से या अमरूद खाने से भांग, धतूरा आदि का नशा दूर हो जाता है

36 पेट की गैस बनना :- अदरक का रस एक चम्मच, नींबू का रस का आधा चम्मच और शहद को डालकर खाने से पेट की गैस में धीरे-धीरे लाभ होता हैं।

37 मुंह के छाले :- *रोजाना भोजन करने के बाद अमरूद का सेवन करने से छाले में आराम मिलता है।
*अमरूद के पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।"

38 दस्त :- *अमरूद के पेड़ की कोमल नई पत्तियों को पानी में उबालकर, छानकर थोड़ी-थोड़ी-सी मात्रा में पकाकर पीने से अतिसार का आना रुक जाता है।
*अमरूद में मिश्री डालकर या अमरूद और मिश्री का सेवन करने से दस्त का आना बंद हो जाता हैं।
*अमरूद के पेड़ की 10 पत्तियां, नींबू की 2 पत्तियां, तुलसी की 3 पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर एक कप पानी में डालकर काढ़ा बनाकर पीने से राहत मिलती है।"

39 मुंह का रोग :- मुंह के रोग में जौ, अमरूद के पत्ते एवं बबूल के पत्ते। इस सबको जलाकर इसके धुंए को मुंह में भरने से गला ठीक होता है तथा मुंह के दाने नष्ट होते हैं।

40 अग्निमान्द्यता (अपच) के लिए :- अमरूद के पेड़ की 2 पत्तियों को चबाकर पानी के साथ सेवन करने से आराम होता हैं।

41 प्यास अधिक लगना :- अमरूद, लीची, शहतूत व खीरा खाने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।

42 मधुमेह के रोग :- पके अमरूद को आग में डालकर उसे निकाल लें, और उसका भरता बना लें, उसमें अवश्कतानुसार नमक, कालीमिर्च, जीरा, मिलाकर सेवन करें। इससे मधुमेह रोग से लाभ होता है।

43 योनि की जलन और खुजली :- अमरूद के पेड़ की जड़ को पीसकर 25 ग्राम की मात्रा में लेकर 300 ग्राम पानी में डालकर पका लें, फिर इसी पानी को साफ कपड़े की मदद से योनि को साफ करने से योनि में होने वाली खुजली समाप्त हो जाती है।

44 गठिया रोग :- गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 5-6 नई पत्तियों को पीसकर उसमें जरा-सा काला नमक डालकर प्रतिदिन सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।

45 फोड़े-फुंसियों के लिए :- अमरूद की थोड़ी सी पत्तियों को लेकर पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।

46 विसर्प-फुंसियों का दल बनना :- 4 हफ्तों तक रोजाना दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाने से पेट साफ होता है, पेट की गर्मी दूर होती है, खून साफ होता है जिससे फुंसिया और खुजली भी दूर हो जाती है।

< स्वस्थ रहना है तो इन 20 बातों को अनदेखा न करें>>>>>>>>>>>>


1. आजकल बढ़ रहे चर्म रोगों और पेट के रोगों का सबसे बड़ा कारण दूधयुक्त चाय और इसके साथ लिया जाने वाला नमकीन है
.2. कसी हुई टाई बाँधने से आँखों की रोशनी पर नकारात्मक प्रभाव होता है
3. अधिक झुक कर पढने से फेफड़े,रीढ़,और आँख की रौशनी पर बुरा असर होता है
4. अत्यधिक फ्रीज किये हुए ठन्डे पदार्थों के सेवन से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है
.5. भोजन के पश्चात स्नान स्नान करने से पाचन शक्ति मंद हो जाती है इसी प्रकार भोजन के तुरंत बाद मैथुन, बहुत ज्यादा परिश्रम करना एवं सो जाना पाचनशक्ति को नष्ट करता है.
6. पेट बाहर निकलने का सबसे बड़ा कारण खड़े होकर या कुर्सी मेज पर बैठ कर खाना और तुरंत बाद पानीपीना है. भोजन सदैव जमीन पर बैठ कर करें. ऐसा करने से आवश्यकता से अधिक खा नहीं पाएंगे. भोजन करने के बाद पानी पीना कई गंभीर रोगों को आमंत्रण देना है.
7. भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए
8. भोजन के बाद हाथ धोकर गीले हाथ आँखों पर लगायें. यह आँखों को गर्मी से बचाएगा.
9. नहाने के कुछ पहले एक गिलास सादा पानी पियें. यह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बहुत हद तक दूर रखेगा.
10. नहाने की शुरुवात सर से करें. बाल न धोने हो तो मुह पहले धोये. पैरों पर पहले पानी डालने से गर्मी का प्रवाह ऊपर की ओर होता है और आँख मस्तिष्क आदि संवेदन शील अंगो को क्षति होती है.
11. नहाने के पहले सोने से पहले एवं भोजन कर चुकने के पश्चात मूत्र त्याग अवश्य कर्रें. यह अनावश्यक गर्मी, कब्ज और पथरी से बचा सकता है.
12. कभी भी एक बार में पूर्ण रूप से मूत्रत्याग न करें बल्कि रूक रुक कर करें. यह नियम स्त्रीपुरुष दोनों के लिए है ऐसा करके प्रजनन अंगों से सम्बंधित शिथिलता से आसानी से बचा जा सकता है. (कीगल एक्सरसाइज)
13. खड़े होकर मूत्र त्याग से रीढ़ की हड्डी के रोग होने की सम्भावना रहती है. इसी प्रकार खड़े होकर पानी पीने से जोड़ों के रोग ऑर्थरिटिस आदि हो जाते हैं.
14. फल, दूध से बनी मिठाई, तैलीय पदार्थ खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए. ठंडा पानी तो कदापि नहीं.
15. अधिक रात्रि तक जागने से प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है .
16. जब भी कुल्ला करें आँखों को अवश्य धोएं. अन्यथा मुह में पानी भरने पर बाहर निकलने वाली गर्मी आँखों को नुकसान पहुचायेगी.
17. सिगरेट तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से प्रत्येक बार मस्तिष्क की हजारों कोशिकाएं नष्ट हो जाती है इनका पुनर्निर्माण कभी नहीं होता.
18. मल मूत्र शुक्र खांसी छींक अपानवायु जम्हाई वमन क्षुधा तृषा आंसू आदि कुल 13 अधारणीय वेग बताये गए हं इनको कभी भी न रोकें. इनको रोंकना गंभीर रोगों के कारण बन सकते हैं .
19. प्रतिदिन उषापान करने कई बीमारियाँ नहीं हो पाती और डॉक्टर को दिया जाने वाला बहुत सा धन बच जाता है.उषापान दिनचर्या का अभिन्न अंग बनायें
.20. रात्रि शयन से पूर्व परमात्मा को धन्यवाद अवश्य दें. चाहे आपका दिन कैसा भी बीता हो. दिन भर जो भी कार्य किये हों उनकी समीक्षा करते हुए अगले दिन की कार्य योजना बनायें अब गहरी एवं लम्बी सहज श्वास लेकर शरीर को एवं मन को शिथिल करने का प्रयास करे. अपने सब तनाव, चिन्ता, विचार आदि परमपिता परमात्मा को सौंपकर निश्चिंत भाव से निद्रा ले।