काला भृंगराज अगर न मिले तो कोई भी ले लें। पंचांग छाया में सुखाकर कूट पीसकर कपडछान कर लें और खरल में डालकर उसमें ताजे भृंगराज की पत्ती का रस इतना डालें कि चूर्ण के ऊपर चार अंगुल आ जाये अब छाया में सुखाकर खरल में खूब घोंटेँ। इसी प्रकार 21 बार रस डालें और सुखाकर घोंटे। इस क्रिया को आयुर्वेद में भावना देना कहते हैं।
21 बार का भावित भृंगराज रसायन- 300 ग्राम
आँवला चूर्ण 150 ग्राम
बहेडा चूर्ण 100 ग्राम
हरड चूर्ण 50 ग्राम
तीनो गुठली रहित लें। सबको बादाम तैल 50 मिली में सानकर 600 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर काँच के बर्तन में रख लें।
सेवन विधि-6 ग्राम चूर्ण प्रातः शाम खाकर एक पाव देशी गाय का दूध पीयें। एक सप्ताह तक खाने के बाद 3 ग्राम चूर्ण और बढाकर 9 ग्राम खाकर गाय का दूध पीयेँ। तीसरे सप्ताह 12 ग्राम उसी प्रकार खायें और दूध पीयें। इसके आगे यही मात्रा जारी रखें। अवश्यकतानुसार 3-4 महीना सेवन करना चाहिए।
लाभ- डेढ- दो माह सेवन करने पर बाल काले निकलने शुरू हो जायेगें और शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।यह एक अत्यन्त स्वास्थ्यवर्धक रसायन है जो शक्ति ,इम्यूनिटी व स्वास्थ्य संरक्षण के लिए उपयोगी होने के साथ केश और आँखों के लिए बेहद लाभप्रद है। बाल काले होकर झडना बन्द हो जाते हैं तथा जडे मजबूत होती हैँ और लम्बे समय तक काले बने रहते हैं।नेत्र ज्योति गिद्ध की तरह हो जाती है,त्वचा चमकदार हो जाती है,त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं,नया रक्त बढता है, पेट के रोग ठीक हो जाते है,बृद्धावस्था जल्दी नहीं पकडती , शरीर बार बार बिमार नहीं पडता है। शरीर के सभी रोग दूर होते हैं इसके गुणौं का वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं शरीर का कायाकल्प कर देता है। प्रयोग करने पर इसके गुण आप स्वयं परख सकते है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम है। भृंगराज हर जगह नदी तलाब और बिशेष रूप से पानी वाली जगह पर होता है। अगर ताजा न मिले तो पंसारी के यहाँ से लाकर काढा बनाकर प्रयौग करें मगर ताजा ज्यादा लाभकारी है।
21 बार का भावित भृंगराज रसायन- 300 ग्राम
आँवला चूर्ण 150 ग्राम
बहेडा चूर्ण 100 ग्राम
हरड चूर्ण 50 ग्राम
तीनो गुठली रहित लें। सबको बादाम तैल 50 मिली में सानकर 600 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर काँच के बर्तन में रख लें।
सेवन विधि-6 ग्राम चूर्ण प्रातः शाम खाकर एक पाव देशी गाय का दूध पीयें। एक सप्ताह तक खाने के बाद 3 ग्राम चूर्ण और बढाकर 9 ग्राम खाकर गाय का दूध पीयेँ। तीसरे सप्ताह 12 ग्राम उसी प्रकार खायें और दूध पीयें। इसके आगे यही मात्रा जारी रखें। अवश्यकतानुसार 3-4 महीना सेवन करना चाहिए।
लाभ- डेढ- दो माह सेवन करने पर बाल काले निकलने शुरू हो जायेगें और शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।यह एक अत्यन्त स्वास्थ्यवर्धक रसायन है जो शक्ति ,इम्यूनिटी व स्वास्थ्य संरक्षण के लिए उपयोगी होने के साथ केश और आँखों के लिए बेहद लाभप्रद है। बाल काले होकर झडना बन्द हो जाते हैं तथा जडे मजबूत होती हैँ और लम्बे समय तक काले बने रहते हैं।नेत्र ज्योति गिद्ध की तरह हो जाती है,त्वचा चमकदार हो जाती है,त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं,नया रक्त बढता है, पेट के रोग ठीक हो जाते है,बृद्धावस्था जल्दी नहीं पकडती , शरीर बार बार बिमार नहीं पडता है। शरीर के सभी रोग दूर होते हैं इसके गुणौं का वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं शरीर का कायाकल्प कर देता है। प्रयोग करने पर इसके गुण आप स्वयं परख सकते है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम है। भृंगराज हर जगह नदी तलाब और बिशेष रूप से पानी वाली जगह पर होता है। अगर ताजा न मिले तो पंसारी के यहाँ से लाकर काढा बनाकर प्रयौग करें मगर ताजा ज्यादा लाभकारी है।