पथरी को लेकर के बहूत सारे सवाल मन में आते हे
कितनी बड़ी निकल सकती हे ?
दवाओ से निकल सकती हे या नहीं ?
कितने दिन लगेंगे ?
आदि आदि
दरअसल होता क्या हे...
पथरी जो बड़े आकार की होगी वो हमेशा गलकर ही बाहर आएगी..
दूसरी बात जितनी बड़ी होगी उतना ही समय उसको बाहर आने में लगेगा
तीसरी बात पथरी का आकार mostly 7-8 mm से कम होगा तभी वो बाहर आएगी
क्यूंकि ureter का आकार 3-4 mm तक का होता हे..ureter की flexibility ज्यादा से ज्यादा 8 mm तक की size को निकलने में सहायता करेगी ...इसके बाद बड़ी size अटक कर रास्ता जाम कर देगी...
इसलिए जितने भी बड़ी पथरी निकालने के प्रयास हे वो सभी पथरी को गलाने के बाद ही शुरू होंगे
अब अगर मेने जितनी भी पथरी को निकाला हे ..
उनमे देखने में आया की किसी किसी की बड़ी पथरी भी गलकर जल्दी निकल गयी और किसी किसी की उतनी ही size की पथरी ने ज्यादा समय लिया..
तो इसके पीछे सीधा सा reason हे पथरी का chemical composition ...मतलब पथरी बनी किन पदार्थो से हे..अगर वो calcium oxalate हे तो धीरे गलेगी
calcium phosphate हे या uretes हे तो जल्दी गलेगी
मतलब आयुर्वेदानुसार हम oxalate पथरी को वातिक मान सकते हे
uretes को पेत्तिक
और बाकी calcium phosphate और cystine को कफज मान सकते हे( ये मेरा मानना हे..सभी के विचार स्वतंत्र हो सकते हे..जरूरी नहीं ये सही भी हो)
बस इससे इतना सा जवाब मिल जाता हे..की फला फला प्रकृति के व्यक्ति को एक ही आहार लेने के बावजूद एक ही स्थान पर पलने के बावजूद पथरियां भी सबको भिन्न भिन्न पनप सकती हे..और इससे उनके बाहर आने का कार्यकाल भी भिन्न भिन्न रहेगा
अब मुद्दे पर आते हे
क्या दे जिससे सफलता मिले ?
तो एक बात अवश्य ध्यान रहे
रोगी की प्रकृति को देखकर पथरी के दोषभेद की hypothesis बनाई जाए..की वातिक हे पेत्तिक हे या कफज हे
और उसी के according ओषध का चुनाव करे
वातिक का चुनाव होता हे तो पथरी में गुग्गुल जरूर दे(मतलब पुड़िया की दवा में महायोगराज गुग्गुल जरूर मिलाये)..
*** गुग्गुल कोशिश करे धूतपापेश्वर का ही लिया जाए
सहजन की छाल का चूर्ण दे या घिस घिस कर पिलाये..
महावातविधवंशक जरूर मिलाये
(मेरी बात हो सकता हे विद्वानों को अजीब लगे लेकिन इन द्रव्यों के गुण कमाल के आते हे)
अब इसी तरह पेत्तिक और कफज में द्रव्यों का selection कर पुड़िया की दवा में मिलाये
मै जो common formula काम में लेता हूँ वो भी बताये चलता हूँ
त्रिविक्रम रस 5gm
हजरल यहूद 5gm
क्षार पर्पटी 5gm
पाषाण वज्र रस 5gm
यवक्षार 5gm
तालमखाना पञ्चांग क्षार10gm
अमृता सत्व 10gm
गोक्षुरादी गुग्गुलु 10gm
total 30 dose with honey
tab चंद्रप्रभावटी(धूतपापेश्वर) 1bd
tab cystone 2bid
syp neeri 1 tid
syp गोक्षुरादी क्वाथ 15-15 ml with luke warm water (नागार्जुना pharmacy अहमदाबाद वाली का)
oil गन्धर्व हस्तादी एरंडम 2 tsf with luke warm water /HS
(ये पथरी का अनुलोमन करवाएगा)
घर पर तीन प्रयोग करने को कहे
1.एक चम्मच निम्बू का रस+ एक चम्मच ग्लिसरीन
2.इलायची के दाने 3gm(पिसे हुए)+ 20 gm मक्खन
3.तीन अंजीर रात सुबह शाम भिगोकर मसलकर छानकर पिने को दे
पथ्य में
कुलथी की दाल खाने को कहे
ये प्रयोग दस दिन का रहेगा...पांच दिन बाद ही treatment repeat करे..क्यूंकि क्षार एक साथ लम्बे समय तक नहीं दे सकते हे
कितनी बड़ी निकल सकती हे ?
दवाओ से निकल सकती हे या नहीं ?
कितने दिन लगेंगे ?
आदि आदि
दरअसल होता क्या हे...
पथरी जो बड़े आकार की होगी वो हमेशा गलकर ही बाहर आएगी..
दूसरी बात जितनी बड़ी होगी उतना ही समय उसको बाहर आने में लगेगा
तीसरी बात पथरी का आकार mostly 7-8 mm से कम होगा तभी वो बाहर आएगी
क्यूंकि ureter का आकार 3-4 mm तक का होता हे..ureter की flexibility ज्यादा से ज्यादा 8 mm तक की size को निकलने में सहायता करेगी ...इसके बाद बड़ी size अटक कर रास्ता जाम कर देगी...
इसलिए जितने भी बड़ी पथरी निकालने के प्रयास हे वो सभी पथरी को गलाने के बाद ही शुरू होंगे
अब अगर मेने जितनी भी पथरी को निकाला हे ..
उनमे देखने में आया की किसी किसी की बड़ी पथरी भी गलकर जल्दी निकल गयी और किसी किसी की उतनी ही size की पथरी ने ज्यादा समय लिया..
तो इसके पीछे सीधा सा reason हे पथरी का chemical composition ...मतलब पथरी बनी किन पदार्थो से हे..अगर वो calcium oxalate हे तो धीरे गलेगी
calcium phosphate हे या uretes हे तो जल्दी गलेगी
मतलब आयुर्वेदानुसार हम oxalate पथरी को वातिक मान सकते हे
uretes को पेत्तिक
और बाकी calcium phosphate और cystine को कफज मान सकते हे( ये मेरा मानना हे..सभी के विचार स्वतंत्र हो सकते हे..जरूरी नहीं ये सही भी हो)
बस इससे इतना सा जवाब मिल जाता हे..की फला फला प्रकृति के व्यक्ति को एक ही आहार लेने के बावजूद एक ही स्थान पर पलने के बावजूद पथरियां भी सबको भिन्न भिन्न पनप सकती हे..और इससे उनके बाहर आने का कार्यकाल भी भिन्न भिन्न रहेगा
अब मुद्दे पर आते हे
क्या दे जिससे सफलता मिले ?
तो एक बात अवश्य ध्यान रहे
रोगी की प्रकृति को देखकर पथरी के दोषभेद की hypothesis बनाई जाए..की वातिक हे पेत्तिक हे या कफज हे
और उसी के according ओषध का चुनाव करे
वातिक का चुनाव होता हे तो पथरी में गुग्गुल जरूर दे(मतलब पुड़िया की दवा में महायोगराज गुग्गुल जरूर मिलाये)..
*** गुग्गुल कोशिश करे धूतपापेश्वर का ही लिया जाए
सहजन की छाल का चूर्ण दे या घिस घिस कर पिलाये..
महावातविधवंशक जरूर मिलाये
(मेरी बात हो सकता हे विद्वानों को अजीब लगे लेकिन इन द्रव्यों के गुण कमाल के आते हे)
अब इसी तरह पेत्तिक और कफज में द्रव्यों का selection कर पुड़िया की दवा में मिलाये
मै जो common formula काम में लेता हूँ वो भी बताये चलता हूँ
त्रिविक्रम रस 5gm
हजरल यहूद 5gm
क्षार पर्पटी 5gm
पाषाण वज्र रस 5gm
यवक्षार 5gm
तालमखाना पञ्चांग क्षार10gm
अमृता सत्व 10gm
गोक्षुरादी गुग्गुलु 10gm
total 30 dose with honey
tab चंद्रप्रभावटी(धूतपापेश्वर) 1bd
tab cystone 2bid
syp neeri 1 tid
syp गोक्षुरादी क्वाथ 15-15 ml with luke warm water (नागार्जुना pharmacy अहमदाबाद वाली का)
oil गन्धर्व हस्तादी एरंडम 2 tsf with luke warm water /HS
(ये पथरी का अनुलोमन करवाएगा)
घर पर तीन प्रयोग करने को कहे
1.एक चम्मच निम्बू का रस+ एक चम्मच ग्लिसरीन
2.इलायची के दाने 3gm(पिसे हुए)+ 20 gm मक्खन
3.तीन अंजीर रात सुबह शाम भिगोकर मसलकर छानकर पिने को दे
पथ्य में
कुलथी की दाल खाने को कहे
ये प्रयोग दस दिन का रहेगा...पांच दिन बाद ही treatment repeat करे..क्यूंकि क्षार एक साथ लम्बे समय तक नहीं दे सकते हे