शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

श्वेत पर्पटी

विभिन्न प्रकार के क्षारों से निर्मित होने के कारण इसे क्षार पर्पटी कहते हैं। इसका उल्लेख आयुर्वेद के कई ग्रंथों में मिलता है। इसका रंग सफेद होने के कारण इसे श्वेत पर्पटी भी कहा जाता है। क्षार पर्पटी मूत्र-पसीना बढ़ाने वाली, भूख तेज करने वाली, आहार का ठीक से पाचन करने वाली तथा वायु को नीचे की ओर ले जाने वाली है। पेशाब के समय होने वाला दर्द, मूत्र में जलन, पथरी, गुर्दे का दर्द, पेट दर्द, मंदाग्नि अजीर्ण, यकृत के रोग आदि में भी यह हितकारी औषधि है। इससे मूत्र साफ आता है, जलन, दर्द और बेचैनी इसके सेवन से दूर होती है। यह किसी भी कारण से हुई मूत्र की रुकावट को दूर करती है। मूत्र संस्थान के विकारों में ‘क्षार पर्पटी’ विशेष लाभकारी है। क्षार पर्पटी निर्माण विधि: कलमी शोरा 16 भाग, फिटकरी 2 भाग तथा नौसादर 1 भाग लें। पहले कलमी शोरा, फिटकरी तथा नौसादर का एक साथ चूर्ण तैयार करें। बाद में चूर्ण को अच्छी तरह घोंट कर एक मिट्टी के बर्तन में डाल कर धीमी आंच पर पकाएं। जब एक समान हो जाए तो जमीन पर गोबर बिछा कर उस पर घी का हाथ दो, तीन बार फेर दें। उस पर केले का एक पत्ता रखकर उस पर भी घी चुपड़ दं। मिश्रण को उस पर पलट कर फैला दें और ऊपर से एक केले का पत्ता रख कर ढंक दें। जब यह ठंडा हो जाएगा तो उसकी पपड़ी-सी जम जाएगी। इस पपड़ी का चूर्ण करके कपड़े से छान लें और शीशी में भर कर बंद कर दें। सेवन विधि: तीन-चार छोटे चम्मच भर चूर्ण को ठंडे पानी या कपूर मिश्रित जल ( 1 गिलास में टिकिया कपूर की डाल कर बनाया हुआ पानी), छाछ या लस्सी के साथ लेना चाहिए। क्षार पर्पटी का अन्य रोगों में प्रयोगः - अम्लपित में क्षार पर्पटी शैप्य भस्म 1/8 ग्राम, मुक्ता पिष्टी 1/8 ग्राम, सूत शेख रस 1/4 ग्राम, चंद्रकला रस 1/2 ग्राम, गोदंती भस्म 1/2 ग्राम, अभ्रक भस्म 1/4 ग्राम, गुडूची सत्व 1/2 ग्राम, कामदुधा रस 1/4 ग्राम को त्रिफला घी के साथ मिला कर दिन में तीन बार लेने से आराम होता है। - अजीर्ण: क्षार पर्पटी 1/2 ग्राम, लवण भास्कर चूर्ण 1ग्राम को छाछ के साथ सुबह-शाम लेने से आहार का ठीक से पाचन होता है और वायु की रुकावट दूर हो जाती है। अजीर्ण में सोंठ का काढ़ा बना कर बार-बार पीने से भी आराम मिलता है। - पथरी: क्षार पर्पटी 1 ग्राम, चंद्रप्रभावटी 1/2 ग्राम को वरुणादि क्वाथ के साथ दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है। पथरी गल कर निकल जाती है। मूत्र साफ आता है। जलन व दर्द से राहत मिलती है। - पेट दर्द: क्षार पर्पटी 1 ग्राम, शंखवटी 1/2 ग्राम छाछ के साथ दिन में तीन बार लेने से पेट दर्द ठीक होता है। पेट की वायु से राहत मिलती है। दर्द कब्ज के कारण हो तो इस चिकित्सा के साथ हल्का विरेचन भी देना चाहिए। - पीलिया: क्षार पर्पटी 1/2 ग्राम, नवायस लौह 1/4 ग्राम, आरोग्यवर्द्धिनी रस 1/2 ग्राम, कासीम भस्म 1/4 ग्राम, कासीस भस्म 1/4 ग्राम को पानी के साथ दिन में तीन बार देने से लाल रक्त कण बढ़ते हैं और रक्तनिर्माण भी शीघ्र होता है। - मंदाग्नि: क्षार पर्पटी 1/2 ग्राम, जिकटू चूर्ण 1 ग्राम को पानी के साथ दिन में तीन बार लेने से भूख अच्छी तरह लगती है, आहार का पाचन होता है, जठराग्नि तेज होती है। - गुर्दो का काम ठीक से न होता हो तो क्षार पर्पटी 1 ग्राम, चंद्रप्रभावटी 1/2 ग्राम को स्वमूत्र के साथ दिन में तीन बार लें। इससे गुर्दे पुनः पूर्ववत कार्य करने लगते हैं व दर्द में राहत मिलती है। - जिन्हें बार-बार पथरी हो, बार-बार मूत्र में रुकावट पैदा हो, गुर्दे का दर्द या गुर्दे के काम में रुकावट हो तो सिर्फ स्वमूत्र सेवन करके एक सप्ताह तक उपवास करना चाहिए। फिर दिन में तीन बार स्वमूत्र सेवन करें। इससे पथरी नष्ट हो जाती है व अन्य समस्याओं से भी राहत मिलती है। क्षार पर्पटी अमृततुल्य औषधि है। इसका यथोचित मात्रा में सेवन करने से रोगी को काफी लाभ होता है।