शनिवार, 3 अक्टूबर 2015

स्‍मोकिंग छोड़ने के बाद करें हीलिंग फूड का सेवन

स्‍मोकिंग छोड़ने के बाद करें हीलिंग फूड का सेवन

स्मोकिंग करना अच्‍छी आदत नहीं है, यह जानते हुए अगर आपने वाकई स्‍मोकिंग करना छोड़ दिया है तो आपके शरीर को पहले से कहीं ज्‍यादा फिट और मजबूत रखने के लिए अतिरिक्‍त पोषक तत्‍वों की आवश्‍यकता पड़ती है। स्‍मोकिंग, शरीर में कई हार्मफुल एलीमेंट छोड देती है, जो फेफड़ों के लिए जहर का काम करती है। लेकिन घबराइए नहीं क्‍योंकि कुछ फूड में मौजूद पोषक तत्‍वों का सेवन अपने आहार में कर इस समस्‍या से बचा जा सकता है। आइए इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से जानते हैं कि स्‍मोकिंग छोड़ने के बाद किन-किन फूड का सेवन कर स्‍वस्‍थ रहा जा सकता है।

पालक
पालक में मौजूद भरपूर मात्रा में विटामिन और फॉलिक एसिड स्‍मोकिंग की लत से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है, और शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके लिए आप पालक का सब्‍जी या सूप के रूप में इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

पानी का खूब करें सेवन
पानी ही एक ऐसी चीज है, जो आपके शरीर से निकोटिन और दूसरे विषाक्‍त तत्‍वों को बाहर करने में मदद करता है। इसलिए एक दिन में कम से कम दो लीटर पानी जरूर पिएं। यही नहीं, पानी स्मोकिंग के मुंह में होने वाले इफेक्ट को भी काफी कम कर देता है। साथ ही किडनी भी स्‍वस्‍थ हो जाती हैं।

विटामिन सी की भरपूर मात्रा
दरअसल, बॉडी में विटामिन सी की कमी होने से स्मोकिंग का बेहद नेगेटिव असर पड़ता है। इससे इम्यून सिस्टम वीक हो जाता है। विटामिन सी मेटाबोल्जिम को दुरूस्‍त बनाता है और बॉडी से टॉक्सिन, जैसे-निकोटिन आदि को बाहर निकाल देता है। संतरे, नींबू, पपीता और टमाटर आदि में यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यही नहीं, विटामिन सी स्‍मोक करने वालों में होने वाली कॉमन गम प्रॉब्लम से भी बचाए रखता है। कीवी, स्‍ट्रॉबेरी और नींबू में विटामिन सी होता है, इसके अलावा इनमें ऐसे गुण होते हैं जिससे आपका शरीर सही शेप में आ जाता है।

ब्रोकली का सेवन
हरी सब्जियों में करोटिनॉयड्स नाम का तत्व होता है, जो स्‍मोकिंग करने वालों के लिए खास फायदेमंद होता है। इसलिए ब्रोकली जैसी सब्जियों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। ब्रोकली की सब्‍जी या सलाद खाने से शरीर में पोषक तत्‍वों की कमी पूरी हो जाती है। इसमें मौजूद सल्‍फोराफेन फेफड़ों को दुरुस्‍त रखने में मदद करता है। इसे ऑलिव ऑयल के साथ सलाद के रूप में खाने से बहुत फायदा होता है।

ग्रीन टी
शोधों से पता चला है कि अगर आप रोजाना 3 से 4 कप ग्रीन टी पीते हैं, तो आपको स्मोकिंग से होने वाले साइड इफेक्ट लगभग 40 से 50 फीसदी कम हो जाते हैं। ग्रीन टी में एंटी-ऑक्सिडेंट शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। यही नहीं, ग्रीन टी कैंसर के रिस्क को भी कम करती है। यह इम्यून सिस्टम को भी ठीक रखती है, जिससे आप स्किन की प्रॉब्लम से भी बचे रहते हैं।

एनीमिया

1. आरोग्यवर्धिनी वटी 375 मिग्रा
मण्डूर वटक 250 मिग्रा
धात्री लौह 250 मिग्रा
ताप्यादि लौह 250 मिग्रा
कासीस भस्म 125 मिग्रा
कामदुधा रस सादा 250 मिग्रा
इसकी दो खुराक बना लें. सभी को सूक्ष्म पीसकर सुबह शाम खाने के बाद शर्बत फौलाद से प्रयोग करवायें. 

2. सुदर्शन चूर्ण 1ग्राम
कासीस भस्म 125मिग्रा
इस अनुपात में आवश्यकतानुसार एक माह या कम-अधिक लेकर पत्थर की खरल में मर्दनं गुण वर्धनं विधान से खूब दृढ मर्दन करके एसी एक मात्रा सुबह शाम शहद से चटायें.
इसमें मर्दन करना अनिवार्य है, उसके बिना कोई फायदा नहीं मिलता.

खानपान बेहतर करने की हिदायत दें. 
विटामिन सी, आयरन रिच फूड सेवन करने को कहें. 
गाजर, चुकन्दर, अनार, पालक, बथुआ, टमाटर हरी पत्तेदार सब्जी आदि खाना बेहतर रिजल्ट 

अम्लपित्त

**अम्लपित्त***
अम्लपित्त आज के युग की अव्यवस्थित दिनचर्या की देन है. इसे Hyper Acidity या Acid Dyspepsia भी कहा जाता है. यह एक ऐसा रोग है जिससे आज बहुशः लोग ग्रस्त हैं.
जब पाचक पित्त विदग्ध व अम्लीभूत अर्थात् विकृत हो जाता है तो गले व सीने में जलन, खट्टी डकार, अरूचि, शिरःशूल, थकान, बेचैनी, वमन, मुख दुर्गंध आदि उत्पन्न करता है. इसे अम्लपित्त या एसीडिटी कहा जाता है. इस रोग के जीर्ण होने पर अन्य विकार यथा अल्सर, अल्सरेटिव कोलाइटिस, ग्रहणी, आँत्रशोथ आदि होने की भी सम्भावना बन जाती है.
अम्लपित्त का एक मुख्य कारण मन्दाग्नि है.
कारण:-
*अग्निमांद्य
*मन्दाग्नि में गरिष्ठ भोजन
*अजीर्ण में भोजन
*विदाही भोजन
*विरूद्ध भोजन
*अधिक समय तक खाली पेट रहना
*समय पर भोजन न करना
*खाना खाने के बाद तत्काल सोने की प्रवृति
*अधिक उपवास
*चाय-कॉफी, कोल्ड ड्रिंक का अति सेवन
*गुटखा, धूम्रपान, शराब आदि सेवन
*वेगधारण
*भोजन के तत्काल बाद स्नान
*रात्रि जागरण
*अनावश्यक व कैमिकल युक्त दवाईयों का प्रयोग
आदि...
आयुर्वेदानुसार अम्लपित्त दो प्रकार का होता है- ऊर्ध्वग अम्लपित्त व अधोग अम्लपित्त.
ऊर्ध्वग अम्लपित्त में कफ का अनुबंध होता है. इसमें हरा पीला पित्त युक्त वमन हो सकता है. खट्टी डकारें, गले व हृदय प्रदेश में जलन, शिरःशूल आदि लक्षण होते हैं.
अधोग अम्लपित्त में जलन, भ्रम, मूर्च्छा, पसीना, थकान, त्वचा पर चकत्ते आदि लक्षण हो सकते हैं.
चिकित्सा:-
*सर्वप्रथम कारण का त्याग करें.
*अम्ल द्रव्य-मिर्च मसाला-तैलीय भोजन न लें.
*कचौरी, समोसा, पिज्जा, मैदे के बने पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक, खैनी-गुटखा-शराब-सिगरेट न लें.
*उचित व सादा भोजन लें.
*समय पर व पूर्ण निद्रा लें.
*चिकित्सक के परामर्श से अन्य आवश्यक निदान परिवर्जन करें.
चिकित्सा व्यवस्था:-
आयुर्वेद में अम्लपित्त की चिकित्सा हेतु कई दवाईयाँ उपलब्ध हैं-
सूतशेखर रस, लीलाविलास रस, कामदुधा रस, प्रवाल पिष्टी, प्रवाल पंचामृत, अविपत्तिकर चूर्ण, द्राक्षावलेह, नारिकेल खण्ड, कूष्माण्ड खण्ड, उशीरासव, मुलैठी चूर्ण, शतावरी चूर्ण, आदि आदि.
पथ्य:- आँवला, सेब, अनार, गुलकंद, किशमिश, परवल, करेला, लौकी, केला, दूध, धनिया, त्रिफला, शहद आदि.
अपथ्य:- दही, तिल, बैंगन, टमाटर, कुलथी, उड़द, मिर्च मसाला, खट्टी वस्तुऐं, माँसाहार आदि.
औषध उपचार:-
जीर्ण व पुरातन अम्लपित्त से परेशान रोगी यह योग बनाकर प्रयोग कर सकते हैं-
1.अविपत्तिकर चूर्ण 200 मिग्रा
आमलकी रसायन 100 मिग्रा
शतावरी चूर्ण 100 मिग्रा
सूतशेखर रस सादा 100 मिग्रा
कामदुधा रस सादा 50 मिग्रा
शंख भस्म 50 मिग्रा
प्रवाल पिष्टी 50 मिग्रा
सज्जी क्षार 50 मिग्रा
मुलैठी सत 50 मिग्रा
यह एक मात्रा है. इस अनुपात में अधिक लेकर सबको महीन पीस लें तथा 750 मिग्रा के कैप्सूल या गोली बना लें.
मात्रा:- 1 से 2 गोली/कैप्सूल सुबह शाम खाने के बाद जल से या दूध से या अर्क सौंफ से या मीठे अनार के रस से लें.
गुण व उपयोग:-
यह योग अम्लतानाशक है. अम्लस्राव को नियंत्रित करता है व आमाशय की अंतःकला को सुरक्षित रखता है. साथ ही जलन, वमन, जी मिचलाना आदि में राहत देता है.
यह योग अम्लपित्त, आमाशय व ग्रहणी व्रण, अजीर्ण, उदरवायु आदि रोगों में लाभप्रद है तथा पाचक पित्त की विकृति को दूर कर पाचन में सहायता करता है.

2.स्वर्ण सूतशेखर रस 125 mg
कामदुधा रस 250 mg
 जहर मोहरा pisti 250 mg
BD
With 
draksha avlah
10-10 gm 
 Empty stomach

Before  meal 15 mnits
अविपत्तिकर चूर्ण 2 gm
 Bd  with water

After meal

 शंख वटी 250 mg
शूलवज्रणी 250 mg
लवण भास्कर चूर्ण 1 gm
 Bd
 With water

रात्रि

Warm water

हरड़ पाक 5 gm


चिकित्सकीय परामर्श से प्रयोग करें.

6 ऐसी चीजें, जिन्हें कभी भी दोबारा गर्म करके नहीं खाना चाहिए

हम सभी के घरों में ऐसा होता है कि हम एक वक्त के खाने को दूसरे वक्त गर्म करके खा लेते हैं. ऐसा नहीं है कि ये काम केवल बैचलर्स करते हैं. लगभग हर घर का फ्रिज ऐसे ही भरा होता है.

बार-बार खाना बनाने से मुक्त‍ि पाने के लिए लोग अक्सर कुछ अधिक खाना बना लेते हैं. इसके अलावा कई बार ऐसा भी होता है कि खाना बच जाता है. हममें से शायद कम ही लोगों को ये पता होगा कि हर खाने को गर्म नहीं किया जाता है.

आपको ये जानकर हैरत हो सकती है कि हर खाने का गर्म नहीं करना चाहिए. खाने-पीने की कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जिन्हें गर्म करने से वो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो जाती हैं.कई बार इससे कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है. कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें गर्म करने पर उनमें मौजूद प्रोटीन खत्म हो जाता है और उसमें मौजूद कुछ तत्व कैंसर के कारकों में बदल जाते हैं.

इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए सबसे प्रमुख तो यही है कि आप उतना ही खाना बनाएं जितने में सबका पेट भर जाए और खाना बचे नहीं. पर अगर खाना बच गया है तो उन्हें गर्म करने से पहले ये जान लें कि ये खाद्य सामग्री गर्म करने योग्य है भी या नहीं.

1. चिकन
चिकन को दोबारा गर्म करके खाना हानिकारक हो सकता है. दोबारा गर्म करने के बाद इसमें मौजूद प्रोटीन कॉम्पोजिशन बदल जाता है जिससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

2. आलू
आलू स्वास्थ्यवर्धक होते हैं लेकिन अगर इन्हें बनाकर बहुत अधिक देर तक रख दिया जाए तो इनमें मौजूद पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं. इसे दोबारा गर्म करके खाने से पाचन क्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

3. चुकंदर
चुकंदर को कभी भी दोबारा गर्म करके नहीं खाना चाहिए. ऐसा करने से इसमें मौजूद नाइट्रेट समाप्त हो जाता है. अगर चुकंदर ज्यादा बन भी गया है तो इसे फ्रिज में रख दें और अगली बार खाने से कुछ घंटे पहले बाहर निकालकर रख दें और बिना गर्म किए खाएं.

4. मशरूम
कोशिश की जानी चाहिए कि मशरूम हमेशा फ्रेश ही खाए जाएं. ये प्रोटीन का खजाना होता है लेकिन दोबारा गर्म करके खाने से इसके प्रोटीन का कॉम्पोजिशन बदल जाता है और ये हानिकारक हो सकता है.

5. अंडा
अंडे को दोबारा गर्म करके खाना हमेशा नुकसानदेह होता है. अंडे में मौजूद प्रोटीन दोबारा गर्म करने के बाद विषाक्त हो जाता है.

6. पालक
पालक को दोबारा गर्म करके खाना कैंसर का कारण भी हो सकता है. इससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. इसमें मौजूद नाइट्रेट दोबारा गर्म करने के बाद कुछ ऐसे तत्वों में बदल जाते हैं जिससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.