शनिवार, 17 अक्टूबर 2015

Thyroid हाइपर और हाइपो थाइरोइड का घरेलु और सफल उपचार

Thyroid हाइपर और हाइपो थाइरोइड का घरेलु और सफल उपचार

हाइपर थाइरोइड और हाइपो थाइरोइड का घरेलु और सफल उपचार।

आज कल की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में ये समस्या आम सी हो गयी हैं, और अलोपथी में इसका कोई इलाज भी नहीं हैं, बस जीवन भर दवाई लेते रहो, और आराम कोई नहीं।

थायराइड मानव शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली जैसा होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।
थॉयराइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है जो गले में पाई जाती है। यह ग्रंथि उर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है। यह एक तरह के मास्टर लीवर की तरह है जो ऐसे जीन्स का स्राव करती है जिससे कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से करती हैं। इस ग्रंथि के सही तरीके से काम न कर पाने के कारण कई तरह की समस्‍यायें होती हैं। इस लेख में विस्‍तार से जानें थॉयराइड फंक्‍शन और इसके उपचार के बारे में।
थॉयराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, क्‍योंकि इसके लक्षण व्‍यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी का निदान होता है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है लेकिन ज्यादातर चिकित्‍सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते हैं जिससे ऑटो-इम्युनिटी दिखाई देती है।
* यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है यानि जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है।
* इसके अलावा यह हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।
*आमतौर पर शुरुआती दौर में थायराइड के किसी भी लक्षण का पता आसानी से नहीं चल पाता, क्योंकि गर्दन में छोटी सी गांठ सामान्य ही मान ली जाती है। और जब तक इसे गंभीरता से लिया जाता है, तब तक यह भयानक रूप ले लेता है।

आखिर क्या कारण हो सकते है जिनसे थायराइड होता है।

* थायरायडिस- यह सिर्फ एक बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।
* इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।
* कई बार कुछ दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव भी थायराइड की वजह होते हैं।
* थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि हार्मोन को उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती।
* भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या पैदा करता है।
* सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण।
* जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है।
* यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।
* ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।
* थायराइड का अगला कारण है गर्भावस्था, जिसमें प्रसवोत्तर अवधि भी शामिल है। गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन में ऐसा समय होता है जब उसके पूरे शरीर में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है, और वह तनाव ग्रस्त रहती है।
* रजोनिवृत्ति भी थायराइड का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय एक महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते है। जो कई बार थायराइड की वजह बनती है।
थायराइड के लक्षण:-

कब्ज-

थाइराइड होने पर कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है। खाना पचाने में दिक्कत होती है। साथ ही खाना आसानी से गले से नीचे नहीं उतरता। शरीर के वजन पर भी असर पड़ता है।

हाथ-पैर ठंडे रहना-

थाइराइड होने पर आदमी के हाथ पैर हमेशा ठंडे रहते है। मानव शरीर का तापमान सामान्य यानी 98.4 डिग्री फॉरनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) होता है, लेकिन फिर भी उसका शरीर और हाथ-पैर ठंडे रहते हैं।
प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना- थाइराइड होने पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम़जोर हो जाती है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के चलते उसे कई बीमारियां लगी रहती हैं।

थकान

थाइराइड की समस्या से ग्रस्त आदमी को जल्द थकान होने लगती है। उसका शरीर सुस्त रहता है। वह आलसी हो जाता है और शरीर की ऊर्जा समाप्त होने लगती है।

त्वचा का सूखना या ड्राई होना

थाइराइड से ग्रस्त व्यक्ति की त्वचा सूखने लगती है। त्वचा में रूखापन आ जाता है। त्वचा के ऊपरी हिस्से के सेल्स की क्षति होने लगती है जिसकी वजह से त्वचा रूखी-रूखी हो जाती है।

जुकाम होना

थाइराइड होने पर आदमी को जुकाम होने लगता है। यह नार्मल जुकाम से अलग होता है और ठीक नहीं होता है।

डिप्रेशन

थाइराइड की समस्या होने पर आदमी हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है। उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता है, दिमाग की सोचने और समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है। याद्दाश्त भी कमजोर हो जाती है।

बाल झड़ना

थाइराइड होने पर आदमी के बाल झड़ने लगते हैं तथा गंजापन होने लगता है। साथ ही साथ उसके भौहों के बाल भी झड़ने लगते है।

मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द

मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और साथ ही साथ कमजोरी का होना भी थायराइड की समस्या के लक्षण हो सकते है।

शारीरिक व मानसिक विकास

थाइराइड की समस्या होने पर शारीरिक व मानसिक विकास धीमा हो जाता है।

अगर आपको ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई दे तो अपने डाक्टर से संपर्क करें आपको थाइराइड समस्या हो सकती है।

अति असरकारक घरेलु उपाय__सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिए, घर में ही गेंहू के जवारों का जूस निकाल कर पिए, इसके बाद एक गिलास पानी में हर रोज़ ३० मिली एलो वेरा जूस और २ बूँद तुलसी की डाल कर पिए, एलो वेरा जूस आपको किसी बढ़िया कंपनी का यूज़ करना होगा, जिसमे फाइबर ज़्यादा हो, सिर्फ कोरा पानी ना हो। बाजार से आज कल पांच तुलसी बहुत आ रही हैं, किसी बढ़िया कंपनी की आर्गेनिक पांच तुलसी ले। ये सब करने के आधे घंटे तक कुछ भी न खाए पिए, इस समय में आप प्राणायाम करे।अखरोट और बादाम है फायदेमंद :-अखरोट और बादाम में सेलेनियम नामक तत्‍व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्‍या के उपचार में फायदेमंद है। 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है। अखरोट और बादाम के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। अखरोट और बादाम सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्‍म (थॉयराइड ग्रंथि का कम एक्टिव होना) में करता है।
इसके साथ में रात को सोते समय गाय के गर्म दूध के साथ 1 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करे।
इसके साथ प्राणायाम करना हैं, जिसे उज्जायी प्राणायाम बोलते हैं। इस प्राणायाम में गले को संकुचित करते हुए पुरे ज़ोर से ऊपर से श्वांस खींचनी हैं।

आयुर्वेदिक औषद्धियों

जानिए अपनी कुछ आयुर्वेदिक औषद्धियों के बारे में जो शरीर की विभिन्न व्यवस्थाओ को शक्ति प्रदान करती है :-
1........चंद्रप्रभा वटी :-
आयुर्वेद में इसके उपयोग बहुत विस्तार से दिये गयें हैं। यह मूत्र रोगों पर और यौन रोगों पर विशेष असर दिखाती है। बार बार पेशाब आना, पेशाब में शक्कर का जाना, स्त्री को सफ़ेद पानी का जाना, मासिक धर्म की अनियमितताए, पुरुषों को पेशाब में धातु जाने की समस्या, पेशाब में जलन होना ऐसे अनेक विकारो पर यह दवा काम करती है।
यह स्नायु और हड्डी को भी मजबूती प्रदान करती है। इसलिए इसका प्रयोग कमजोरी में भी करते है।
इसकी 1-1 गोली सुबह शाम नाश्ते या भोजन के बाद पानी से ले। इसे शहद या दूध से भी ले सकते है।
2.......... योगराज गुग्गुल :-
इस दवा का प्रयोग स्नायुओ को मजबूती प्रदान करता है। बुढ़ापे की व्याधियो जैसे पैर की पिंडलियों में दर्द होना, घुटनों में दर्द होना वगैरह के लिए यह दवा अच्छा असर दिखाती है।
इसकी 1-1 गोली सुबह शाम नाश्ते या भोजन के बाद पानी से ले. इसे शहद से या दूध से भी ले सकते है।
3....... त्रयोदशांग गुग्गुल :-
यह वात विकारो की एक जबरदस्त दवा है। इसके प्रयोग से लकवे (पक्षाघात) में अद्भुत लाभ होता है। लकवा होने के बाद जितने जल्दी इसे प्रयोग में लाया जायेगा लाभ उतना ही जल्द होंगा। यदि लकवा होने के बाद ज्यादा समय बीत गया है तो एक लम्बे काल के लिए इस दवा का नियमित सेवन करना होगा।
सर्वाइकल स्पोंडीलायटिस में भी यह अच्छा काम करती है।
इसकी 1-1 गोली सुबह शाम नाश्ते या भोजन के बाद पानीसे ले। इसे शहद से या दूध से भी ले सकते है।
4.......... सितोपलादी चूर्ण :-
यह खांसी की एक जबरदस्त दवा है। सूखी खांसी पर इसे जादू की तरह काम करते हुए देखा गया है। एक चौथाई चम्मच चूर्ण शहद के साथ एक दिन में 3-4 बार ले सकते है।
5....... हरिद्रा खंड :-
यह खुजली की एक जबरदस्त दवा है। शीत पित्त में भी ये दवा जादू की तरह काम करती है। इसे आधा चम्मच रोजाना पानी से तीन बार ले सकते है।
6........सितोपलादि चूर्ण :-
सभी प्रकार के कास (खांसी), श्वास रोग, क्षय, राजयक्ष्मा, मुँह से खून गिरना,
साथ-साथ थोडा ज्वर रहना, जुकाम आदि मे इस चूर्ण से बहुत लाभ होता है।
एक से तीन ग्राम की मात्रा शहद या शुद्ध घी के साथ लें।