एड़ी में दर्द कारण और उपचार
Home Remedy for Heel pain – Ankle Pain.
एड़ी में दर्द बहुत कष्टकारी होता हैं। और ये किसी भी आयु के व्यक्ति और औरत या मर्द सभी को हो सकता हैं। एड़ी के दर्द होने के बहुत से कारण हो सकते हैं। ऊंची एड़ी के सैंडल, गलत बूट, गलत जूती या हड्डी का बढ़ना या कोई पुरानी चोट भी इसका एक कारण हो सकता हैं।
आज हम आपको बताएँगे इस दर्द से छुटकारा पाने की युक्ति।कारण :-
ऊँची एड़ी की सेण्डल पहनना।
पैर का मुड़ जाना।
गिर जाना।
टाइट कपड़े पहनना।
नींद की गोलियाँ खाना।
मोटापा, मधुमेह जैसी बीमारियाँ होना।
पोषण का अभाव।
हार्मोन को प्रभावित करने वाली दवाइयाँ लेना या हार्मोन में एकदम परिवर्तन हो जाना।
चोट, कंकर-पत्थर का लग जाना।
माँस का कम हो जाना।
हड्डी का बढ़ जाना।
ज्यादा समय तक खड़े रहना।
पेट, कमर व पैरों की कोई क्रियाएँ नहीं करना।
ज्यादा खाना, पीना, सोना।
निवारण:-
दर्द के समय ज्यादा चलना फिरना बंद कर एड़ी पर एक लेप बनाकर लगाएँ (हल्दी को तेल या तिल में पकाकर नमक, नीबू व प्याज डालें)।
स्पोर्ट्स जूते या आरामदायक जूते पहने।
स्पोर्ट्स जूते या आरामदायक जूते पहने।
गरम ठंडा पानी
गरम ठंडे पानी में पैर को बदल-बदल 3 बार रखें। गरम में पाँच मिनिट, ठंडे में तीन मिनिट। यह क्रिया सिर को गीला कर तथा पानी पीकर व स्टूल पर बैठकर करें।
काला तिल, ग्वारपाठा व अदरक
काली मिट्टी में काला तिल, ग्वारपाठा व अदरक डालकर गर्म करके बाँधने पर अद्भुत लाभ मिलता है।
अश्वगंधा
दर्द निवारण के लिए अश्वगंधा का चूर्ण 1-1 चम्मच दूध के साथ लेवें या अंकुरित मैथी दाना का प्रयोग करें।
ग्वारपाठा
ग्वारपाठा
सुबह ग्वारपाठा को छीलकर (50 ग्राम के लगभग) खाएँ।
अदरक
अदरक
अदरक की सब्जी या चटनी खाएँ। पोदीना में पिण्ड खजूर डालकर चटनी बनाकर खाएँ।
भोजन
भोजन
भोजन में आलु, ककड़ी, तोरई, सेव, आँवला, टमाटर, कच्चा पपीता, सहना फूल व पत्तागोभी, गुगल का प्रयोग अति लाभकारी है।
मेथी अजवायन कलौंजी और साबूत ईसबगोल
मेथी अजवायन कलौंजी और साबूत ईसबगोल
एक चम्मच मेथी, एक चम्मच अजवायन, एक चम्मच कलौंजी और एक चम्मच साबूत ईसबगोल को थोड़ा मिक्सी मे पीसकर सुबह खाली पेट एक चम्मच लें। इसी अनुपात से आप ज्यादा बनाकर रोजाना इस्तेमाल करिए।
नौशादर एक पीस (एक चौथाई छोटा चम्मच) , गवार पाठा – एक चौथाई छोटा चम्मच, और 1/4 चम्मच हल्दी। एक बर्तन में गवार पाठा धीमी आंच पर गरम करे, उस में नौशादर और हल्दी डाले, जब गवार पाठा पानी छोड़ने लगे तब उसे एक कॉटन के टुकड़े पर रख ले और थोड़ा ठंडा करे। जितना गरम सह सके, उसे एक कपडे पर रख कर एड़ी पर पट्टी की तरह बांध लीजिये, ये प्रयोग सोते समय करे क्योंकि इसे बाँध कर चलना नहीं है। ये प्रयोग कम से कम ३० दिन तक पुरे धैर्य से करे।