शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2015

Dengue Fever Treatment


डेंगू ज्वर को आम भाषा में हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है यह रोग मच्छर के काटने से होने वाला रोग है जो कि डेंगू वायरस के कारण उत्पन्न होता है ! इस रोग में होने वाले लक्षणों के लिए संलग्न फोटो को देखें !
इस रोग में ब्लड प्लेटलेट्स कम होना तथा ब्लड प्लाज्मा का स्राव होना मुख्य रूप से होता है इस रोग में रोगी के शरीर का ब्लड प्रेशर भी बहुत तेजी से कम होने लगता है !
आयुर्वेद में इस रोग का कारगर उपचार उपलब्ध है .... आयुर्वेद औषधियों के माध्यम से रोग को आसानी से ठीक किया जा सकता है..!
इस रोग में रोगी के आहार का निर्धारण करना सबसे ज्यादा जरुरी है -
रोगी को आसानी से पचने वाले सुपाच्य आहार अल्प मात्रा में खाने को कहें !
पपीता, पपीते के पाती का स्वरस , गाय या बकरी का दूध (यदि बकरी का दूध मिल जाये तो लाभ और जल्दी मिलता है.), अनार, मौसमी , सेव , चीकू, किशमिश , मुनक्का , मूंग की दाल , गाजर , चुकंदर, सूप , लौकी , तोरई , कद्दू , परवल , टिंडा की पतली सब्जी, धनिया, जीरा आदि आहारों का अल्प मात्रा में प्रयोग करना चाहिए !
निम्न औषधियों का प्रयोग रोग इस रोग में लाभदायक है -
सर्व ज्वर हर लौह , सुदर्शन घन वटी , स्वर्ण सूत शेखर रस इनकी एक-एक गोली दिन में दो बार !
तालिसादि चूर्ण 60 ग्राम, अभ्रक भस्म 10 ग्राम, गिलोय सत्व 10 ग्राम , मुक्ता शुक्ति पिष्टी 10 ग्राम , स्वर्ण माक्षिक भस्म 10 ग्राम , प्रवाल पंचामृत / प्रवाल पिष्टी - 5 ग्राम इन सभी औषधियों को मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा शहद के साथ दिन में दो बार दें !
अमृता रिष्ट 15-15 ml दिन में दो बार दें . मकोय अर्क 10-10 ml दिन में दो बार , जय मंगल रस की 1 गोली रात्रि में 10 दिन तक दें !
(औषधियों की मात्रा वयस्क रोगी के अनुसार है रोग एवं रोगी की स्थिति के अनुसार मात्रा में परिवर्तन चिकित्सक अपने अनुसार करें !)
इन औषधियों के अतिरिक्त रोग और रोगी की स्थिति के अनुसार पथ्यादि क्वाथ और स्वर्ण बसंत मालती रस का प्रयोग आवश्यकता होने पर किया जा सकता है !
Note: कभी भी यह रोग होने पर या रोग से सम्बंधित लक्षण होने पर तुरंत अपने आयुर्वेद के चिकित्सक से मिलें ! इन औषधियों को प्रयोग बिना 

घरेलू दर्दनाशक आयुर्वेदिक तेल ............

घरेलू दर्दनाशक आयुर्वेदिक तेल ............ ।

कई बार हमारे घुटनों, कमर, पीठ एवं पंसलियों आदि में दर्द हो जाता है । ऐसे ही दर्द को दूर करने के लिए बाजार में कई तरह के आयुर्वेदिक तेल मिलते हैं जिनसे मालिश करने से दर्द दूर हो जाता है ! आज ऐसा ही तेल बनाने कि विधि आपको बताता हूँ जो सस्ता, सरल और अचूक है और घर पर आराम से बनाया जा सकता है ।

सबसे पहले 40 ग्राम पुदीना सत्व, 40ग्राम अजवायन सत्व और 40 ग्राम ही कपूर ले । साफ़ बोतल में पुदीना सत्व डाल दें और उसके बाद अजवायन सत्व और कपूर को पीसकर उस बोतल में डाल दें जिसमें आगे पुदीना सत्व है । उसके बाद ढक्कन लगाकर हिला दें और रख दें । थोड़ी देर बाद तीनों चीजें मिलकर द्रव्य रूप में हो जायेगी और इसे ही अमृतधारा कहते हैं ।

अब 200 ग्राम लहसुन लें और उसके छिलके उतार कर लहसुन कि कलियों के छोटे छोटे टुकड़े कर लें । अब एक किलो सरसों का तेल कड़ाही में डालकर आंच पर गर्म होने के लिए रख दें । जब तेल पूरी तरह से गर्म हो जाए तो तेल को नीचे उतार कर ठंडा होने के लिए रख दें । जब तेल पूरा ठंडा हो जाए तो उसमें लहसुन के टुकड़े डालकर उसको फिर आंच पर चढाकर तेज और मंदी आंच में गर्म करें । तेल को इतना पकाए कि लहसुन कि कलियाँ जलकर काली हो जाए । तेल के बर्तन को आंच पर से उतारकर नीचे रखे और उसमें गर्म तेल में ही 80 ग्राम रतनजोत ( एक वृक्ष कि छाल होती है ) डाल दें इससे तेल का रंग लाल हो जाएगा ।

तेल के ठंडा होने पर कपडे से छानकर किसी साफ़ बोतल में भर लें । अब इस पकाए हुए तेल अमृतधारा और 400 ग्राम तारपीन का तेल मिलाकर अच्छी तरह से हिला दें । अब आपका मालिश के लिए दर्दनाशक लाल तेल तैयार है। जिसका उपयोग आप जब चाहे कर सकते हैं ।

डेंगू

डेंगू
डेंगू की सारी रामायण

छोटी छोटी युक्ति डेंगू से मुक्ति

पानी ठहरेगा जहां डेंगू पनपेगा वहां

एडिड मछर से फैलता है डेंगू

😀खुद डॉक्टर ना बने😀

सारे घर को चेक करें, टायर ,ट्यूब, प्लास्टिक के डब्बे ,कूलर, फ्रिज का वेस्ट पानी ,
अगर पानी हो तो सरसों का तेल, केरोसिन ,पेट्रोल ,डीजल डालें।

डेंगू तीन प्रकार का होता है।
1. क्लासिकल
2.हैमरेजिक
3.शोंक सिंड्रोम

क्लासिकल साधारण डेंगू है जो की कुछ समय बाद खुद ठीक हो जाता है। अधिकतर मरीज इसी डेंगू से पिड़ित हैं।

डेंगू के असली लक्षण

1तेज बुखार आना
2.सर भारी या सिर् में दर्द
3.उल्टी की शिक़ायत या जी मिचलाना।
4.सारे शरीर में दर्द।
5. 3 से 4 दिन बाद भी बुखार का उतरना चढना।

रोग के ज्यादा बढ़ने पर:-
1.मसूड़ो से खून आना। नाक कान मुँह से भी खून आ सकता है।
2.शरीर पर लाल रंग के चकते उभरना।।
तुरंत हस्पताल में जाऐं ।

डेंगू की अफवाएं 

आपको जानकर आशचर्य होगा की डेंगू कोई गम्भीर बीमारी नहीं है।
समय पर सचेत ना होने पर ,खुद डॉक्टर बनने पर,गलत दवाई लेने पर,ज्यादा घबराने पर,खाना पीना छोड़ देने पर और समय पर दवाई ना लेने पर ही यह रोग गंभीर हो जाता है।

😀प्लटलेट का राज😀
क्या हैं प्लेटलेट

हमारे शरीर में 15000 से 450000 प्लेटलेट्स होंने चाहियें ।

नोटः मौसमी बुखार में भी हमारे प्लेटलेट्स कम हो सकतें हैं इसलिए हर बुखार को डेंगू ना मानें।
दूसरी बात 40000 तक प्लेटलेट्स रह जाएं तो भी ना घबराएं । 25000 प्लेटलेट वाले मरीज ने भी इलाज मिलने के बाद 3 से 4 दिन में ही रिकोवर कर लिया।

प्लेटलेट घटते कैसे हैं।

1.किसी भी प्रकार का तरल ना लेने पर।

2.सामान्य बुखार में दी जाने वाली दवाएं जैसे की एंटी बायोटिक लेने पर।एंटी बायोटिक हमारे शरीर के प्लेटलेट्स पर असर डालती हैं।

3.मानसिक रूप से कमजोर होने पर। घबरा जाने पर । आप अपने दिमाग पर जोर देंगे हौसला छोड़ देंगे तो प्लेटलेटस घटने लगेंगे।

😀😀प्लेटलेट्स बढेंगें कैसे ।

1.ज्यादा से ज्यादा तरल पीने पर चाहे वो RO पानी ही क्यों न हो।

2.हर 1 या 2 घण्टे में बार बार पीने को दें।

3.अगर उल्टी आए तो ग्लूकोस चढ़वा सकते हैं ।

4.हौसला बनाये रखे इससे भी प्लेटलेट्स बढ़ने में मदद मिलेगी।
मरीज जल्दी रिकवर करेगा।

5.पीने में सिर्फ RO का या गरम करके ठंडा किया हुआ पानी दें।
नारियल पानी, अनार जूस ,मिक्स जूस, फ्रूटी, दूध , बकरी का उत्तम है।

6.घरेलू उपचार में गिलोय और पपीते के पत्तों को पीस कर रस पिला सकते हैं।गेहूं के हरे पोधे का रस भी उत्तम है।

7.बुखार आने पर सिर्फ पारासिटामोल की टेबलेट ही लें। एस्प्रिन ,ब्रुफिन् हरगिज न लें।
आजकल मार्किट में प्लेटलेट्स बढ़ाने की गोली भी आइ हुई है। आप वो भी ले सकतें हैं।

रोचक तथ्य: 

1.डेंगू का बुखार लगभग 2 से 10 दिन तक ही रहता है। हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शमता इसे हमारे शरीर के हिसाब से काबू कर लेती है।

2.अफवाओं से बचे व् समय पर इलाज लें।

3.कई हस्पतालों में आपके प्लेट्लेट्स को कम करके दिखाया जाता है। 60000 को 40000 दिखाकर आपको एडमिट कर लेते हैं।ऐसी कई शिकायतें मिलीं हैं।
सिविल हॉस्पिटस्ल में अब डेंगू का टेस्ट उपलब्ध है।

डेंगू के टेस्ट:👉

कार्ड द्वारा डेंगू का टेस्ट किया जाता है। जिसकी किमत् लगभग 800 रूपये होती है।

प्लेटलेट्स का टेस्ट डेंगू का टेस्ट नहीं होता।

आयुर्वेदिक उपचार:-

१. पपीता पत्र स्वरस १० मिली
गिलोय स्वरस १० मिली
नीमपत्र स्वरस २० ग्राम पत्तों से जितना निकले उतना
काली मिर्च ५ दाने पीसकर
सबको मिलाकर सुबह खाली पेट पिऐं. सात दिन तक प्रयोग करें. प्लेटलेट बढती है.

२. त्रिभुवनकीर्ति रस २५० मिग्रा
विषमज्वरांतक लौह २५० मिग्रा
गोदन्ती भस्म ५०० मिग्रा
गिलोय सत्व ५०० मिग्रा
संशमनी वटी २५० मिग्रा
सबको पीसकर ऐसी एक मात्रा आवश्यकतानुसार दिन में दो- तीन बार वासा स्वरस से.
अन्य परिस्थितिजन्य उपाय भी करें.

कोई भी चिकित्सा वैद्यकीय सलाह के बिना न करें. रोगी की स्थिति के अनुसार चिकित्सा में परिवर्तन हो सकता है. डेंगू घातक रोग है तत्काल आवश्यक चिकित्सा करें. स्वयं अपने डॉक्टर बनने का प्रयास न करें.

साईटिका का इलाज

साईटिका में होने वाला दर्द, स्याटिक नर्व के कारण होता है। यह दर्द सामान्यत: पैर 
के निचले हिस्से की तरफ फैलता है। ऐसा दर्द स्याटिक नर्व में किसी प्रकार के दबाव, 
सूजन या क्षति के कारण उत्पन्न होता है। इसमें चलने-उठने-बैठने तक में बहुत तकलीफ 
होती है। यह दर्द अकसर लोगों में 30 से 50 वर्ष की उम्र में होता है। इसकी चिकित्सा 
सर्जरी या वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से हो सकती है। 
साईटिका नर्व (नाड़ी) शरीर की सबसे लंबी नर्व होती है। यह नर्व कमर की हड्डी से गुजरकर जांघ के पिछले भाग से होती हुई पैरोँ के पिछले हिस्से मेँ जाती है। जब दर्द इसके रास्ते से होकर गुजरता है, तब ही यह साईटिका का दर्द कहलाता है। 

लक्षण :- 
कमर के निचले हिस्से मेँ दर्द के साथ जाँघ व टांग के पिछले हिस्से मेँ दर्द।
पैरोँ मेँ सुन्नपन के साथ मांसपेशियोँ मेँ कमजोरी का अनुभव।
पंजोँ मेँ सुन्नपन व झनझनाहट।
पैदल चलने में परेशानी। 

उपचार और बचाव :- 
1.... आलू का रस 300 ग्राम नित्य २ माह तक पीने से साईटिका रोग नियंत्रित होता है। इस उपचार का प्रभाव बढाने के लिये आलू के रस मे गाजर का रस भी मिश्रित करना चाहिये।
2.......लहसुन की खीर इस रोग के निवारण में महत्वपूर्ण है। 100 ग्राम दूध में 4-5 लहसुन की कली चाकू से बारीक काटकर डालें। इसे उबालकर ठंडी करके पीलें। यह विधान 2-3 माह तक जारी रखने से साईटिका रोग को उखाड फ़ैंकने में भरपूर मदद मिलती है। लहसुन में एन्टी ओक्सीडेन्ट तत्व होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने हेतु मददगार होते है । हरे पत्तेदार सब्जियों का भरपूर उपयोग करना चाहिये। कच्चे लहसुन का उपयोग साईटिका रोग में अत्यंत गुणकारी है। सुबह शाम 2-3 लहसुन की कली पानी के साथ निगलने से भी फायदा होता है। हरी मटर, पालक, कलौंजी, केला, सूखे मेवे ज्यादा इस्तेमाल करें।
3......साईटिका रोग को ठीक करने में नींबू का अपना महत्व है। रोजाना नींबू के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से आशातीत लाभ होता है।
4.......सरसों के तेल में लहसुन पकालें। दर्द की जगह इस तेल की मालिश करने से तुरंत आराम लग जाता है।
5........लौह भस्म 20 ग्राम+विष्तिंदुक वटी 10 ग्राम+रस सिंदूर 20 ग्राम+त्रिकटु चूर्ण 20 ग्राम इन सबको अदरक के रस के साथ घोंटकर 250 गोलियां बनालें। दो-दो गोली पानी के साथ दिन में तीन बार लेते रहने से साईटिका रोग जड़ से समाप्त हो जाता है।

प्रतिदिन सामान्य व्यायाम करेँ। वजन नियंत्रण मेँ रखेँ। पौष्टिक आहार ग्रहण करेँ। रीढ़ की हड्डी को चलने-फिरने और उठते-बैठते समय सीधा रखेँ। भारी वजन न उठाएं।