थायरॉइड का आयुर्वेदिक उपचार है बेहद असरदार ..... !
* हमारे शरीर में मौजूद थायरॉइड ग्रंथि जब कम मात्रा में हार्मोन बनाने लगती है तो शरीर में हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या हो जाती है !
हमारे गले में थायरॉइड ग्रंथि होती है जो गले में स्वरयंत्र के ठीक नीचे व सांसनली के दोनों तरफ तितली के पंख के समान फैली होती है !
इससे निकलने वाले हार्मोन जब हमारे खून में कम या अधिक मात्रा में पहुंचते हैं तो शरीर में कई प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं !
थायरॉइड ग्रंथि को मस्तिष्क में मौजूद पिट्यूटरी ग्रंथि नियंत्रित करती है जिससे थायरॉइड स्टीम्युलेटिंग हार्मोन ( टीएसएच ) की उत्पत्ति होती है !
थायरॉइड ग्रंथि जब कम मात्रा में हार्मोन बनाने लगती है तो शरीर में हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या हो जाती है !
♀ जानते हैं इसके बारे में :-
☼ ऑटो - इम्यून - डिसऑर्डर :-
( इसमें शरीर का रोग प्रतिरोधी तंत्र थायरॉइड ग्रंथि पर आक्रमण कर देता है ) - शरीर में अन्य हार्मोन का असंतुलन - रेडिएशन - दवाओं व सर्जरी के दुष्प्रभाव - कम मात्रा में आयोडीन का सेवन और फैमिली हिस्ट्री होने पर हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या हो सकती है !
☼ लक्षणों को पहचानें :-
वजन बढऩा - थकान व कमजोरी - उदासी - मांसपेशियों व पैरों में सूजन और खिंचाव - याददाश्त में कमी - आंखों में सूजन - त्वचा का रूखा व मोटा होना - कब्ज - बालों का झडऩा - माहवारी की अनियमितता या अधिक स्राव - सर्दी लगना व कम पसीना आना - आवाज में भारीपन और नाखून मोटे होकर धीरे - धीरे बढऩे जैसे लक्षण होने लगते हैं !
$ प्याज - चुकंदर - कचनार - काला नमक - मूली - शलजम - ब्राह्मी - कमल ककड़ी - कमलनाल - सिंघाड़ा - हरी - सब्जियां - हल्दी - फूल - मखाने - अनार - सेब - मौसमी - आंवला - जामुन - अनानास - करेला - टमाटर - पालक - आलू - मटर - टिंडा - परवल - पनीर - दूध - दही और लस्सी आदि को अपनी डाइट में शामिल करें !
$x पत्तागोभी - ब्रोकली - केला - काजू - सुपारी - सरसों का साग - पीला शलजम व मूंगफली से बचें !
* ऐसे रोगी जो मोटापे से पीडि़त हैं उन्हें चाय - चावल - चीनी - शक्कर - गुड़ - अंडा - मांस - मक्के की रोटी - मैदे से बने खाद्य - पदार्थ जैसे ब्रेड - बिस्किट - जंक फूड और तली - भुनी चीजें जैसे चिप्स - समोसा आदि से परहेज करना चाहिए !
☼ एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच शहद व आधे नींबू को निचोड़कर सुबह चाय के स्थान पर लें - इससे वजन नियंत्रित रहता है !
कैल्शियम की कमी होने पर खूबानी - खजूर - किशमिश - बादाम - फैट फ्री दूध - पनीर - प्याज - लहसुन - अखरोट - नारियल - अंजीर खाएं !
* इन बातों का भी रखें ध्यान :-
हल्का - सुपाच्य व पौष्टिक आहार लें - शरीर को आराम दें - ज्यादा शोर - शराबे से बचें - सर्वांगासन - हलासन - उष्ट्रासन - उज्जयी जैसे आसन व कपालभाति और अनुलोम - विलोम प्राणायाम नियमित रूप से करें !
डिप्रेशन में अनुलोम - विलोम जरूर करें - शून्य मुद्रा व अग्नि मुद्रा का नियमित अभ्यास लाभकारी है !
♀ आयुर्वेदिक इलाज से होगा लाभ :-
* ब्राह्मी - गुग्गुलु - मघ पीपल - कालीमिर्च - त्रिफला - दाख ( मुनक्का ) - दशमूल इत्यादि का नियमित प्रयोग करने से हार्मोन में असंतुलन की समस्या दूर होती है !
* 10 किलो गेंहू के आटे में दो किलो बाजरे का आटा व दो किलो ज्वार का आटा मिलाएं - इस आटे से बनी रोटियां खाने से लाभ होता है !
* 100 ग्राम की मात्रा में दानामेथी व सूखे धनिए को बारीक पीस लें - रात के समय इस मिश्रण की दो छोटे चम्मच की मात्रा दो गिलास पानी में भिगो दें - सुबह खाली पेट इस पानी को पिएं व मिश्रण को चबाकर खाएं !
आंवला - गोखरू व गिलोय चूर्ण को समान मात्रा में मिलाएं - इसे 1 - 3 ग्राम सुबह - शाम पानी के साथ लेने से रोगियों का तनाव दूर होता है !
* कचनार गुग्गुलु की 3 - 3 गोलियां दिन में दो बार - दशमूलारिष्ट या दशमूल क्वाथ 20 - 20 मिली पानी से लें !
* सुबह खाली पेट गो - मूत्र या इसके अर्क का सेवन करना लाभकारी है !
सुबह मलत्याग के बाद गो - मूत्र को बारीक कपड़े से छानकर प्रयोग करें - इसेे लेने के बाद एक घंटे तक कुछ न खाएं - महिलाएं मासिक धर्म के दौरान भी इसे ले सकती हैं !
* गर्मियों में गो - मूत्र कम मात्रा में लें क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है - इसके प्रयोग के दौरान चाय - कॉफी - मांस - अंडा - दही - गरिष्ठ भोजन व मादक पदार्थों से बचें !
* दशमूल - दानामेथी - कलौंजी - अजवाइन - भुना जीरा - मीठी सौंफ - चपटी सौंफ व करी पत्ता सभी को 50 - 50 ग्राम की मात्रा में लेकर दरदरा कूट - रात को 2 गिलास सामान्य पानी में 2 चम्मच इस मिश्रण को भिगो दें - सुबह धीमी आंच पर इस पानी को बिना ढके पकाएं - यह पानी चौथाई शेष रहने पर इसे छान लें व हल्का गुनगुना पिएं - यह रोगी की सूजन व मोटापे को कम करने में फायदेमंद है
गर्मियों में प्रयोग न करें क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है - ताजा काढ़ा बनाएं व सुबह ही इसे पिएं !
गर्भवती व पित्त प्रकृति वाले प्रयोग न करें !
☼ माहवारी कम आना :-
अत्यधिक दर्द और अनियमितता जैसी समस्या होने पर रात को सोने से पहले एक गिलास उबले हुए दूध में चुटकी भर हल्दी डालकर पिएं !
♀ हाइपोथायरॉइडिज्म में रात को सोते समय 1 - 3 ग्राम की मात्रा में त्रिफला चूर्ण / त्रिफला के दो कैप्सूल / 30 मिलिलीटर एलोवेरा और त्रिफला जूस रोजाना लें !
* पंचकोल चूर्ण व त्रिफला चूर्ण ( दोनों 100 ग्राम मात्रा में ) मिलाकर रखें !
सुबह - शाम भोजन के बाद चौथाई चम्मच लेने से बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल व वसा नियंत्रित होते हैं !
♀ शरीर में सूजन होने पर पुनर्नवा मंडूर की 2 - 2 गोलियां सुबह व शाम ले सकते हैं !
♀ चरक संहिता में बताए गए वर्धमान पिप्पली का सेवन सौंठ के काढ़े के साथ करने से लाभ होता है !
* नियमित रूप से सुदर्शन चूर्ण व पिप्पली मूल से भी लाभ होगा !
* हमारे शरीर में मौजूद थायरॉइड ग्रंथि जब कम मात्रा में हार्मोन बनाने लगती है तो शरीर में हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या हो जाती है !
हमारे गले में थायरॉइड ग्रंथि होती है जो गले में स्वरयंत्र के ठीक नीचे व सांसनली के दोनों तरफ तितली के पंख के समान फैली होती है !
इससे निकलने वाले हार्मोन जब हमारे खून में कम या अधिक मात्रा में पहुंचते हैं तो शरीर में कई प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं !
थायरॉइड ग्रंथि को मस्तिष्क में मौजूद पिट्यूटरी ग्रंथि नियंत्रित करती है जिससे थायरॉइड स्टीम्युलेटिंग हार्मोन ( टीएसएच ) की उत्पत्ति होती है !
थायरॉइड ग्रंथि जब कम मात्रा में हार्मोन बनाने लगती है तो शरीर में हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या हो जाती है !
♀ जानते हैं इसके बारे में :-
☼ ऑटो - इम्यून - डिसऑर्डर :-
( इसमें शरीर का रोग प्रतिरोधी तंत्र थायरॉइड ग्रंथि पर आक्रमण कर देता है ) - शरीर में अन्य हार्मोन का असंतुलन - रेडिएशन - दवाओं व सर्जरी के दुष्प्रभाव - कम मात्रा में आयोडीन का सेवन और फैमिली हिस्ट्री होने पर हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या हो सकती है !
☼ लक्षणों को पहचानें :-
वजन बढऩा - थकान व कमजोरी - उदासी - मांसपेशियों व पैरों में सूजन और खिंचाव - याददाश्त में कमी - आंखों में सूजन - त्वचा का रूखा व मोटा होना - कब्ज - बालों का झडऩा - माहवारी की अनियमितता या अधिक स्राव - सर्दी लगना व कम पसीना आना - आवाज में भारीपन और नाखून मोटे होकर धीरे - धीरे बढऩे जैसे लक्षण होने लगते हैं !
$ प्याज - चुकंदर - कचनार - काला नमक - मूली - शलजम - ब्राह्मी - कमल ककड़ी - कमलनाल - सिंघाड़ा - हरी - सब्जियां - हल्दी - फूल - मखाने - अनार - सेब - मौसमी - आंवला - जामुन - अनानास - करेला - टमाटर - पालक - आलू - मटर - टिंडा - परवल - पनीर - दूध - दही और लस्सी आदि को अपनी डाइट में शामिल करें !
$x पत्तागोभी - ब्रोकली - केला - काजू - सुपारी - सरसों का साग - पीला शलजम व मूंगफली से बचें !
* ऐसे रोगी जो मोटापे से पीडि़त हैं उन्हें चाय - चावल - चीनी - शक्कर - गुड़ - अंडा - मांस - मक्के की रोटी - मैदे से बने खाद्य - पदार्थ जैसे ब्रेड - बिस्किट - जंक फूड और तली - भुनी चीजें जैसे चिप्स - समोसा आदि से परहेज करना चाहिए !
☼ एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच शहद व आधे नींबू को निचोड़कर सुबह चाय के स्थान पर लें - इससे वजन नियंत्रित रहता है !
कैल्शियम की कमी होने पर खूबानी - खजूर - किशमिश - बादाम - फैट फ्री दूध - पनीर - प्याज - लहसुन - अखरोट - नारियल - अंजीर खाएं !
* इन बातों का भी रखें ध्यान :-
हल्का - सुपाच्य व पौष्टिक आहार लें - शरीर को आराम दें - ज्यादा शोर - शराबे से बचें - सर्वांगासन - हलासन - उष्ट्रासन - उज्जयी जैसे आसन व कपालभाति और अनुलोम - विलोम प्राणायाम नियमित रूप से करें !
डिप्रेशन में अनुलोम - विलोम जरूर करें - शून्य मुद्रा व अग्नि मुद्रा का नियमित अभ्यास लाभकारी है !
♀ आयुर्वेदिक इलाज से होगा लाभ :-
* ब्राह्मी - गुग्गुलु - मघ पीपल - कालीमिर्च - त्रिफला - दाख ( मुनक्का ) - दशमूल इत्यादि का नियमित प्रयोग करने से हार्मोन में असंतुलन की समस्या दूर होती है !
* 10 किलो गेंहू के आटे में दो किलो बाजरे का आटा व दो किलो ज्वार का आटा मिलाएं - इस आटे से बनी रोटियां खाने से लाभ होता है !
* 100 ग्राम की मात्रा में दानामेथी व सूखे धनिए को बारीक पीस लें - रात के समय इस मिश्रण की दो छोटे चम्मच की मात्रा दो गिलास पानी में भिगो दें - सुबह खाली पेट इस पानी को पिएं व मिश्रण को चबाकर खाएं !
आंवला - गोखरू व गिलोय चूर्ण को समान मात्रा में मिलाएं - इसे 1 - 3 ग्राम सुबह - शाम पानी के साथ लेने से रोगियों का तनाव दूर होता है !
* कचनार गुग्गुलु की 3 - 3 गोलियां दिन में दो बार - दशमूलारिष्ट या दशमूल क्वाथ 20 - 20 मिली पानी से लें !
* सुबह खाली पेट गो - मूत्र या इसके अर्क का सेवन करना लाभकारी है !
सुबह मलत्याग के बाद गो - मूत्र को बारीक कपड़े से छानकर प्रयोग करें - इसेे लेने के बाद एक घंटे तक कुछ न खाएं - महिलाएं मासिक धर्म के दौरान भी इसे ले सकती हैं !
* गर्मियों में गो - मूत्र कम मात्रा में लें क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है - इसके प्रयोग के दौरान चाय - कॉफी - मांस - अंडा - दही - गरिष्ठ भोजन व मादक पदार्थों से बचें !
* दशमूल - दानामेथी - कलौंजी - अजवाइन - भुना जीरा - मीठी सौंफ - चपटी सौंफ व करी पत्ता सभी को 50 - 50 ग्राम की मात्रा में लेकर दरदरा कूट - रात को 2 गिलास सामान्य पानी में 2 चम्मच इस मिश्रण को भिगो दें - सुबह धीमी आंच पर इस पानी को बिना ढके पकाएं - यह पानी चौथाई शेष रहने पर इसे छान लें व हल्का गुनगुना पिएं - यह रोगी की सूजन व मोटापे को कम करने में फायदेमंद है
गर्मियों में प्रयोग न करें क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है - ताजा काढ़ा बनाएं व सुबह ही इसे पिएं !
गर्भवती व पित्त प्रकृति वाले प्रयोग न करें !
☼ माहवारी कम आना :-
अत्यधिक दर्द और अनियमितता जैसी समस्या होने पर रात को सोने से पहले एक गिलास उबले हुए दूध में चुटकी भर हल्दी डालकर पिएं !
♀ हाइपोथायरॉइडिज्म में रात को सोते समय 1 - 3 ग्राम की मात्रा में त्रिफला चूर्ण / त्रिफला के दो कैप्सूल / 30 मिलिलीटर एलोवेरा और त्रिफला जूस रोजाना लें !
* पंचकोल चूर्ण व त्रिफला चूर्ण ( दोनों 100 ग्राम मात्रा में ) मिलाकर रखें !
सुबह - शाम भोजन के बाद चौथाई चम्मच लेने से बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल व वसा नियंत्रित होते हैं !
♀ शरीर में सूजन होने पर पुनर्नवा मंडूर की 2 - 2 गोलियां सुबह व शाम ले सकते हैं !
♀ चरक संहिता में बताए गए वर्धमान पिप्पली का सेवन सौंठ के काढ़े के साथ करने से लाभ होता है !
* नियमित रूप से सुदर्शन चूर्ण व पिप्पली मूल से भी लाभ होगा !