शनिवार, 21 जनवरी 2012

बवासीर

बवासीर


बवासीर दो प्रकार की होती है - खूनी बवासीर और बादी वाली बवासीर,खूनी बवासीर में मस्से खूनी सुर्ख होते है,और उनसे खून गिरता है, जबकि बादी वाली बवासीर में मस्से काले रंग के होते है,और मस्सों में खाज पीडा और सूजन होती है, अतिसार संग्रहणी और बवासीर यह एक दूसरे को पैदा करने वाले होते है। बवासीर के रोगी को बादी और तले हुये पदार्थ नही खाने चाहिये, जिनसे पेट में कब्ज की संभावना हो,हरी सब्जियों का ज्यादा प्रयोग करना चाहिये,बवासीर से बचने का सबसे सरल उपाय यह है कि शौच करने उपरान्त मलद्वार अच्छी तरह से साफ़ करें,इससे कभी बवासीर नही होता है। इसके लिये आवश्यक है कि नाखून कतई बडा नही हो,अन्यथा भीतरी मुलायम खाल के जख्मी होने का खतरा होता है, प्रारंभ में यह उपाय अटपटा लगता है,पर शीघ्र ही इसके अभ्यस्त हो जाने पर तरोताजा महसूस भी होने लगता है,इसके घरेलू उपचार इस प्रकार से है ।

  • जीरे को जरूरत के अनुसार भून कर उसमे मिश्री मिलाकर मुंह में डालकर चूंसने से तथा बिना भुने जीरे को पीस कर मस्सों पर लगाने से बवासीर की बीमारी में फ़ायदा होता है |
  • पके केले को बीच से चीरकर दो टुकडे कर लें और उसपर चार ग्राम कत्था पीसकर छिडक दें,इसके बाद उस केले को खुले आसमान के नीचे शाम को रख दें, सुबह को उस केले को प्रातःकाल की क्रिया करके खालें, एक हफ़्ते तक इस प्रयोग को करने के बाद भयंकर से भयंकर बवासीर समाप्त हो जाती है ।
  • छोटी पिप्पली को पीस कर चूर्ण बना ले, और दो ग्राम चूर्ण एक चम्मच शहद के साथ लेने से आराम मिलता है
  • एक चम्मच आंवले का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ लेने पर बवासीर में लाभ मिलता है, इससे पेट के अन्य रोग भी समाप्त होते है |
  • खूनी बवासीर में नींबू को बीच से चीर कर उस पर चार ग्राम कत्था पीसकर बुरक दें, और उसे रात में छत पर रख दें,सुबह दोनो टुकडों को चूस लें, यह प्रयोग पांच दिन करें खूनी बवासीर की यह उत्तम दवा है |



  • खूनी बवासीर में गेंदे के हरे पत्ते नौ ग्राम काली मिर्च के पांच दाने और मिश्री दस ग्राम लेकर साठ ग्राम पानी में पीस कर मिला लें, दिन में एक बार चार दिन तक इस पानी को पिएं, गरम चीजों को न खायें, खूनी बवासीर खत्म हो जायेगा ।
  • पचास ग्राम बडी इलायची तवे पर रख कर जला लें,ठंडी होने पर पीस लें, रोज सुबह तीन ग्राम चूर्ण पंद्रह दिनो तक ताजे पानी से लें, बवासीर में लाभ होता है |
  • दूध का ताजा मक्खन और काले तिल दोनो एक एक ग्राम को मिलाकर खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है |
  • नागकेशर मिश्री और ताजा मक्खन इन तीनो को रोजाना सम भाग खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है |
  • नीम के ग्यारह बीज और छः ग्राम शक्कर रोजाना सुबह को फ़ांकने से बवासीर में आराम मिलता है |
  • कमल का हरा पत्ता पीसकर उसमे मिश्री मिलाकर खायें,बवासीर का खून आना बन्द हो जाता है |
  • सुबह शाम को बकरी का दूध पीने से बवासीर से खून आना बन्द हो जाता है |
  • प्रतिदिन दही और छाछ का प्रयोग बवासीर का नाशक है |
  • गुड के साथ हरड खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है |
  • बवासीर में छाछ अम्रुत के समान है, लेकिन बिना सेंधा नमक मिलाये इसे नही खाना चाहिये |
  • मूली का नियमित सेवन बवासीर को ठीक कर देता है |
बवासीर क्या है ...?
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* बवासीर आजकल एक आम बीमारी के रूप में प्रचलित है। इस रोग मे गुदे की खून की नसें (शिराएं) फ़ूलकर शोथयुक्त हो जाती हैं,जिससे दर्द,जलन,और कभी कभी रक्तस्राव भी होता है।बवासीर का प्रधान कारण कब्ज का होना है।जिगर मे रक्त संकुलता भी इस रोग कारण होती है। मोटापा, व्यायाम नहीं करना और भोजन में रेशे(फ़ाईबर) की कमी से भी इस रोग की उत्पत्ति होती है।

बवासीर दो प्रकार की होती है:--

खूनी बवासीर :-
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* अंदर की बवासीर से खून निकलता है इसलिए इसे खूनी बवासीर कहते हैं।

बादी-बवासीर :-
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* बाहर की बवासीर में दर्द तो होता है लेकिन उनसे खून नहीं निकलता है इसलिए इसे बादी-बवासीर कहते हैं।

बवासीर रोग होने के कारण :-
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मलत्याग करते समय में अधिक जोर लगाकर मलत्याग करना और बार-बार जुलाव का सेवन करना...

बार-बार दस्त लाने वाली दवाईयों का सेवन करना..

उत्तेजक पदार्थों का अधिक सेवन करना..

अधिक मिर्च-मसालेदार भोजन का सेवन करना..

अधिक कब्ज की समस्या होना...

वंशानुगत रोग या यकृत रोग होना...

शारीरिक कार्य बिल्कुल न करना..

शराब का अधिक मात्रा में सेवन करना..

पेचिश रोग कई बार होना..

निम्नस्तरीय चिकनाई रहित खुराक लेना...

गर्भावस्था के समय में अधिक कष्ट होना तथा इस समय में कमर पर अधिक कपड़ें का दबाव रखना...

रात के समय में अधिक जागना...

मूत्र त्याग करने के लिए अधिक जोर लगना..

* मस्से के लिये कई घरेलू ईलाज हैं,लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और आधार भूत बात यह है कि रोगी को २४ घंटे में ४ से ६ लिटर पानी पीने की आदत डालनी चाहिये। ज्यादा पानी पीने से शरीर से विजातीय पदार्थ बाहर निकलते रहेंगे और रोगी को कब्ज नहीं रहेगी जो इस रोग का मूल कारण है।

* हरी पत्तेदार सब्जियां,फ़ल और ज्यादा रेशे वाले पदार्थों का सेवन करना जरुरी है।

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