लवण भास्कर चूर्ण
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इस योग को आचार्य भास्कर ने बनाया था।
ऊपर से नमक डालने के बजाय थोड़ी मात्रा में लवन भास्कर का उपयोग करे , ये आम , वात और कफ दोषों को दूर करेगा।
घटक द्रव्य-सेंधानमक,विडनमक,पीपल,पिपलामूल,तेजपात, काला जीरा,तालीस पत्र,नागकेशर, अम्लवेत,सौचल नमक,जीरा,काली मिर्च,सोंठ,समुद्री नमक,अनार दाना,बड़ी इलायची,दाल चीनी आदि।
यह खाना पचाने का एक जायकेदार योग है।यह एक निरापद योग है जो 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेने पर उदर संबंधी रोगों को अपने से दूर रखा जा सकता है।इसे लेने से लार और पाचक रस सही मात्रा में बनते है। यह योग वैसे छाछ या मट्ठे के साथ सर्वोत्तम लाभ प्रदान करता है किन्तु काँजी,दही का पानी या सामान्य गर्म जल के साथ भी लिया जा सकता है व इसके लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।रात को सोने से पहले गर्म पानी से लिया हुआ चूर्ण सुबह को साफ व खुलकर शौच लाता है और कब्ज से राहत प्रदान करता है।यह कफ को दूर करता है इसलिए सर्दी ज़ुकाम और सांस की बीमारियों में राहत देता है। त्वचा सम्बन्धी बीमारियों और आम वात की बीमारियाँ जैसे अर्थराइटिस में लाभकारी।
इस योग के प्रयोग से पेट की वायु,डकार आना तथा भूख न लगना आदि रोगों का शमन बड़ी ही आसानी से हो जाता है।यह पित्त को बढाए बिना अग्नि जठराग्नि यानी भूख को बढ़ाता है।
सावधानी -सामान्य नमक की तरह ही गुर्दे की बीमारियों और उच्च रक्तचाप पर इसे नहीं लेना चाहिए।गर्भवती स्त्रियों को भी इसे नहीं लेना चाहिए।
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