शनिवार, 14 मई 2016

छाछ (मट्ठा, तक्र)---

छाछ (मट्ठा, तक्र)

छाछ या मट्ठा शरीर में उपस्थित विजातीय तत्वों को बाहर निकालकर नया जीवन प्रदान करता है। यह शरीर में प्रतिरोधात्मक (रोगों से लड़ने की शक्ति) शक्ति पैदा करता है। छाछ में घी नहीं होना चाहिए। गाय के दूध से बनी छाछ सर्वोत्तम होती है। छाछ का सेवन करने से जो रोग नष्ट होते हैं। वे जीवन में फिर दुबारा कभी नहीं होते हैं। छाछ खट्टी नहीं होनी चाहिए। पेट के रोगों में छाछ को दिन में कई बार पीना चाहिए। गर्मी में छाछ पीने से शरीर तरोताजा रहता है। रोजाना नाश्ते और भोजन के बाद छाछ पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। छाछ को पीने से सिर के बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। भोजन के अन्त में छाछ, रात के मध्य दूध और रात के अन्त में पानी पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

विभिन्न रोगों में सहायक :

1. बवासीर:
1 गिलास छाछ में नमक और 1 चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर पीने से बवासीर रोग में लाभ मिलता है। छाछ के उपयोग से बवासीर दुबारा नहीं होती है। छाछ में कालानमक मिलाना लाभकारी होता है। छाछ में भुना हुआ जीरा मिलाकर पीना बवासीर के रोग में लाभकारी होता है।
भोजन करने के बाद छाछ में सेंधानमक मिलाकर पीयें अथवा छाछ में सौंठ या पीपल या प्याज का साग मिलाकर रोज पीने से बवासीर का रोग दूर होता है।
ताजी छाछ में चित्रक की जड़ का चूर्ण मिलाकर रोजाना पीने से लम्बे समय का बवासीर ठीक हो जाता है। छाछ के प्रयोग से दूर होने वाली बवासीर दुबारा नहीं होती है।
गाय की छाछ में कालीमिर्च सोंठ, पीपर और बीड़ लवण का चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर में लाभ होता है।

2. अजीर्ण: घी, तेल और मूंगफली अधिक खाने से अजीर्ण का कष्ट होने पर छाछ पीने से लाभ मिलता है।

3. भांग का नशा: खट्टी छाछ पीने से भांग का नशा उतर जाता है।

4. मोटापा:
छाछ पीने से मोटापा कम हो जाता है।
छाछ में काला नमक और अजवाइन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

5. अपच: अपच (भोजन का न पचना) के रोग में छाछ एक सर्वोत्तम औषधि है। तली, भुनी, गरिष्ठ चीजों को पचाने में छाछ बहुत ही लाभकारी होती है। छाछ आंतों में स्वास्थ्यवर्द्धक कीटाणुओं की वृद्धि करता है। यह आंतों में सड़ान्ध को रोकती है। छाछ में सेंधानमक, भुना हुआ जीरा तथा कालीमिर्च पीसकर मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण (भूख न लगना) दूर हो जाता है।

6. शक्तिवर्द्धक: छाछ पीने से पाचन संस्थान की शुद्धि होकर रस का भलीप्रकार संचार होने लगता है तथा आंतों से संबन्धित कोई रोग नहीं होता है। रोजाना छाछ पीने से शरीर की पुष्टि, बल, प्रसन्नता, चेहरे की चमक बढ़ती है। पिसी हुई अजवायन, कालानमक और छाछ तीनों को मिलाकर भोजन के अन्त में रोजाना कुछ दिन तक पीने से लाभ होता है। छाछ में कालीमिर्च और नमक मिलाकर भी पी सकते हैं।

7. सौंदर्यवर्द्धक: छाछ से चेहरा धोने से चेहरे की कालिमा, मुंहासे के दाग और चिकनाहट दूर होती है और चेहरा सौंदर्यवान (चमकदार) बनता है।

8. संग्रहणी: संग्रहणी सदृश्य (दस्त) रोगों में रोगियों को गाय के दूध की छाछ में सोंठ और पीपर का चूर्ण डालकर पिलाने से लाभ होता है। इस प्रयोग काल में आहार में केवल छाछ और चावल का ही प्रयोग करें।

9. रक्तविकार: गाय की ताजा, फीकी छाछ पीने से रक्तवाहनियों (खून की नलियों) का खून साफ हो जाता है और रस बल तथा पुष्टि बढ़ती है तथा शरीर की चमक बढ़ जाती है। इससे मन प्रसन्न होता है तथा यह वात, कफ संबन्धी रोगों को नष्ट करती है।

10. पेट का भारीपन: सोंठ, कालीमिर्च, पीपल और कालानमक को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ में मिलाकर पीने से पेट का भारीपन और अजीर्ण रोग (भूख न लगना) समाप्त हो जाता है।
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